छत्तीसगढ़: युवती ने बदली गांव की तस्वीर, जानें कैसे?

CG NEWS

Update: 2021-10-19 07:19 GMT

जशपुर। मनरेगा के तहत् विभिन्न कार्याें को से लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए ग्राम में मेट के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराने के साथ ही ग्रामीणों को रोजगार गांरटी योजना से जोड़ कर उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है। मेट अपने ग्राम पंचायत में बखूबी अपने कार्य को निभा रही है। जिससे ग्राम के सभी ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है और ग्रंाव के मजदूरो को सुविधा भी पहुंचा रही है। गांव में डबरी, कुंआ निर्माण सहित कई कार्याें को ग्रामीणांे तक पहुचा कर उन्हें योजना से लाभ देकर गांव को समृद्ध बनाने में अपरी अहम भूमिका अदा कर रही है। इसी कड़ी में पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम सुरजगढ़ की पुष्पावती चौहान ने अपने ग्राम पंचायत में विकास को बढ़ावा देते हुए न सिर्फ गांव के लोगों को मनरेगा के तहत् रोजागर उपलब्ध कराया बल्कि अपने गांव में विभिन्न योजना से लोगों को लाभ प्रदान करने में उनकी सहायता भी की।

पुष्पावती बताती है कि गांव में अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके पास कोई रोजगार नहीं था। परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ न होने के कारण उन्हें आगे की पढ़ाई भी बीच में रूक गई। पुष्पापवती में अपने आस पास के क्षेत्र में परिवर्तन एवं विकास लाने की इच्छाषक्ति षुरूआत से ही रही थी जिसके पश्चात् गांव के सरपंच ने उन्हें मेट बनने की सलाह दी। जिस पर पुष्पावती ने तत्काल मनरेगा में मेट का काम करना शुरू कर दिया। 02 अक्टूबर 2016 को ग्राम सभा में मेट नियुक्ति की गई। मेट बनने के बाद मे लम्बे समय पंचायत में कार्य करने बाद मुझे रोजी मिलने लगी तथा परिवार की स्थिति ठीक होने लगी तब मै आगे पढ़ाई भी धीरे-धीरे जारी रखी। जिससे उसकी पारिवारिक स्थिति में भी काफी सुधार आने लगा।

उन्होंने बताया कि मेट के रूप में चयन प्रषिक्षण ग्राम सरंपच, सचिव एवं रोजगार सहायक द्वारा प्रदान किया गया जिसे रूची और बढ़ी। इसके बाद योजना में नियोजन के लिये 100 दिन की मजदूरी के लिये तैयार योजना के अनुरूप भुमि सुधार, तालाब निर्माण, कुआं निर्माण, षेड निर्माण कार्य स्वीकृति हुई तथा कमजोर परिवार में 100 दिन रोजगार प्रदान करने में भूमिका अदा की। इससे न सिर्फ उसे रोजगार मिला बल्कि गांव के कई परिवारों को उसके माध्यम से रोजगार उपलब्ध हो पाया। पुष्पावती ने मेट बनने के बाद अपने मजदूरों को कार्यस्थल पर सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टि से पीने का पानी एवं छावनी का भी व्यवस्था कराई जिससे मजदूरों को मध्यान्ह भोजन समय में पेयजल एवं छाव की सुविधा मिल सके। साथ ही उनके द्वारा प्रत्येक कार्यस्थल पर चिकित्सा सुविधा के लिए मेडिकल किट भी रखा गया। जिससे कार्य के दौरान किसी को चोट लगने पर या अन्य तात्कालिक उपचार प्राप्त मजदूरों को प्राप्त हो सके। उन्होनंे महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए विषेष प्रयास किया। महिलाओं को जागरूक करने के लिए घर-घर जाकर उन्हें समझाईष देने के साथ ही स्व-सहायता समूह को भी शामिल किया। जिससे महिलाओं में रोजागर के प्रति आकर्षण बढ़ा। जिससे अब स्व-सहायता समूह की महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति के साथ रोजागर के साधन में वृद्धि हुई। उन्होंने 100 दिवस का रोजगार प्राप्त करने के लिए भी ग्रामीण परिवार के सदस्यों को प्रोत्साहित किया।

पुष्पावती द्वारा अपने ग्राम पंचायत में ग्रामीणों द्वारा वर्ष 2019-20 मे 7383 मानव दिवस के लक्ष्य के विरुद्ध कुल 7955, वर्ष में 2020-21 में 6524 मानव दिवस के लक्ष्य के विरुद्ध में कुल 7900 एवं वर्ष 2021-22 में 1751 मानव दिवस अर्जित किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में 18 एवं 2020-21 में कुल 34 परिवारों को 100 दिवस से अधिक का रोजगार प्रदान किया गया। साथ ही वन अधिकार पट्टाधारी परिवार का भी चिन्हांकन कर उन्हें अतिरिक्त रोजगार दिवस उपलब्ध कराने का प्रयास किया। साथ ही कोविड के दौरान भी उनके द्वारा मनरेगा कार्यस्थल पर ग्रामीणों को मास्क उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सहित अन्य कोविड नियमों का पालन कराते हुए मनरेगा कार्यो को सुचारू रूप से संचालित कराया। जिससे लॉकडाउन के दौरान भी ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हुआ एवं उनके आर्थिक स्थिति मजबूत बनी। पुष्पावती कहती है कि उनके जीवन में मेट का कार्य उनके परिवार के साथ ही ग्रामीणों की मदद के लिए कारगर साबित हुआ है। वह आगे भी मेट के पद पर कार्य करते हुए ग्रामीण लोगों को मनरेगा के विभिन्न कार्यों के तहत अधिक से अधिक कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर क्षेत्र के विकास में अपना योगदान देती रहेंगी।

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