इसे खाने के बाद शरीर में कार्बोहाइड्रेट धीमी गति से रिलीज होता है। इस कारण वह ग्लूकोज के बजाय फ्रक्टोज में कन्वर्ट होता है। जो कि डायबिटिक लोगों के लिए नुकसानदेह नहीं है। इसी तरह रागी में कैल्शियम, आयरन, फायबर और प्रोटीन अधिक मात्रा में रहता है। इसका सेवन एनिमिक पेशेंट, गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
देश में सबसे अधिक एमएसपी देता है छत्तीसगढ़ - राज्य सरकार मिलेट्स को मिशन के रूप में ले रही है। यही कारण है कि तमाम गुणों से भरपूर रागी का समर्थन मूल्य देशभर में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में है। राज्य में रागी का 33.70 रुपये और कोदो, कुटकी का 30 रुपये समर्थन मूल्य दिया जा रहा है।
किसान समिति और महिला समूह ने बदल दी तस्वीर
साल 2020 , जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांकेर के कृषि विज्ञान केंद्र आये थे। वहां महिलाओं ने मुख्यमंत्री को बताया कि उनके गांव गोटुलडांड में कोदो, कुटकी और रागी का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। लेकिन अब तक प्रोसेसिंग ढेकी के जरिये करते हैं। अगर प्रोसेसिंग यूनिट लग जाये तो कम समय में अधिक प्रोसेसिंग हो सकती है। मुख्यमंत्री ने तत्काल घोषणा की और तीन माह के अंदर प्रोसेसिंग यूनिट लगा दी गयी । वर्तमान में कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर और गोटुलडांड में प्रोसेसिंग का कार्य चल रहा है। महिला समूह, किसान समिति से एमएसपी पर कोदो, कुटकी, रागी खरीदती हैं।
प्रोसेसिंग कर महिला बाल विकास विभाग को कोदो 70 और रागी 50 रुपये में बेचती हैं। मिशन मोड पर मिलेट्स उत्पादन - कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बीरबल साहू बताते हैं कि सरकार द्वारा मिलेट्स के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए धान के बदले इन फसलों को लेने पर प्रति एकड़ 10 हजार रुपये इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है। मिलेट्स कि खासियत है कि इसका कम पानी में ही अधिक उत्पादन होता है। इसे धान की तुलना में सिर्फ एक चौथाई पानी जरूरत होती है।
इसके हार्डी नेचर के कारण मानसून ब्रेक होने पर भी अच्छी फसल होती है। पहले किसान रबी के सीजन में भी धान लगाते थे लेकिन अब अच्छे परिणाम देखकर इसकी ओर डायवर्ट हो रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में प्रोसेसिंग यूनिट के जरिये अब तक 6 सौ क्विंटल कोदो और 615 क्विंटल रागी की प्रोसेसिंग की जा चुकी है। जमीन की उर्वरक क्षमता भी बढ़ी - किसी भी जमीन की उर्वरक क्षमता बरकरार रखने के लिए फसल चक्र परिवर्तन जरूरी होता है। यहां किसान समिति उड़द की फसल के बाद कोदो, कुटकी और रागी लगा रहे हैं जिससे जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा बनी रहती है और अगली फसल भी अच्छी होती है।