छत्तीसगढ़: पति ने डॉक्टर पत्नी को बताया नपुंसक, पहुंचा कोर्ट

CG NEWS

Update: 2021-10-05 06:14 GMT
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रायपुर। बिलासपुर की एक डेंटिस्ट और उसके परिवार वालों के खिलाफ उसके पति ने नपुंसक और समलैंगिक बताकर बदनाम करने को लेकर कोर्ट में परिवाद दायर किया है। कोर्ट ने युवक की पत्नी, उसकी बहन जीजा, भाई तथा पिता के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर उन्हें समन जारी करने का निर्देश दिया है।रायपुर निवासी अभिनव शर्मा ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट पवन कुमार अग्रवाल की कोर्ट में एक परिवाद दायर किया। इसमें उन्होंने बताया कि उसका विवाह बिलासपुर की एक डेंटिस्ट आकांक्षा शर्मा के साथ 4 फरवरी 2018 को हुआ। शादी के बाद वह अपनी पत्नी को लेकर मुंबई ले गया, जहां उसका जॉब था। यहीं से दोनों हनीमून के लिए जयपुर भी गए। लौटने के बाद मुंबई में वह जॉब करने लगा और पत्नी साथ में घर पर रहने लगी। आवेदन में कोर्ट को बताया गया है कि पत्नी दिन भर घर पर रहती थी और कुछ काम नहीं करती थी। उसके फोन पर एक नंबर बोर्नविटा नाम से सेव था जिससे वह घंटों बात करती थी। एक दिन मोबाइल चेक करने पर पता चला कि वह बिलासपुर के अपने एक दोस्त डॉ. विवेक उपाध्याय से बात करती है। उसे पत्नी आकांक्षा बिलासपुर चलकर रहने और वही जॉब ढूंढने का दबाव बनाने लगी, जबकि खुद वह कनाडा जाना चाह रहा था। इसके चलते पति पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया। पत्नी डॉ. आकांक्षा ने 7 मार्च 2019 को परिवार न्यायालय में एक आवेदन देकर पति के खिलाफ भरण पोषण की मांग की। इसके 2 महीने बाद 5 मई को पति और उसके परिजनों के खिलाफ बिलासपुर के महिला थाने में दहेज प्रताड़ना की शिकायत कर दी। पुलिस ने पति अभिनव और उसके परिवार वालों के विरुद्ध धारा 498ए तथा 34 के तहत अपराध दर्ज कर लिया।

इसके बाद आरोपी आकांक्षा ने कई बार अभिनव को मित्रों को फोन किया। उसके स्टाफ की महिलाओं को भी फोन करके यह बताया कि पति के साथ उसके शारीरिक संबंध नहीं बने हैं और वह समलैंगिक है। कोर्ट में दिए गए आवेदन में कहा गया है कि इसके कारण मुझे अपने दफ्तर में लोगों से अपमानजनक व्यवहार और शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। उसे अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ गई। इस बीच महिला थाना बिलासपुर की ओर से शासकीय जिला अस्पताल में उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया, जिसमें कहा गया कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है कि वह शारीरिक रूप से संबंध बनाने में सक्षम नहीं है। परिवादी का कहना है कि वह स्वयं जानता है कि उसमें इस तरह की कोई कमी नहीं है। आकांक्षा और उसके ससुराल वालों ने एक राय होकर षडयंत्रपूर्वक उसे अपमानित करने के लिए उसके विरुद्ध आरोप लगाए।

परिवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया है कि परिवादी का बयान और दस्तावेज एक दूसरे के समर्थन में है और आरोपियों का वक्तव्य मान हानिकारक है। परिवादी की प्रतिष्ठा को प्रथम दृष्टि में क्षति पहुंचना परिलक्षित हो रहा है। कोर्ट ने डॉक्टर आकांक्षा शर्मा, पत्नी के जीजा प्रशांत दुबे, पत्नी की बहन समीक्षा दुबे, पत्नी के भाई मयंक शेखर शर्मा तथा पत्नी के पिता शिव राम प्रसाद शुक्ल को उपस्थिति के लिए समन जारी किया है। अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।

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