छत्तीसगढ़ बना सट्टागढ़, डॉन की छतरी बड़ी

Update: 2021-06-18 05:38 GMT

पुलिस की छापामार कार्रवाई के बाद भी सटोरिये सक्रिय

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में सट्टे-जुए का कारोबार धडल्ले से चल रहा है। लगातार पुलिस छापे मार रही है लेकिन उसके बाद भी सट्टे-जुए का कारोबार चल रहा है। शहर का डॉन रवि साहू रोजाना अपने गुर्गों जरिए सट्टे का कारोबार चला रहा है। डॉन के खेमे में सट्टा खिलाने वाले लोग आपराधिक किस्म के ही होते है।

डॉन रवि साहू ने अपने काले कारोबार में सिर्फ गुंडों की फौज रखी है। वक्त आने पर डॉन के शागिर्द किसी भी अपराध में अपने डॉन को बचाने के लिए जेल भी जा सकते है। शहर में कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से डॉन के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। और वही कालीबाड़ी के पास स्थित खुले मैदान में सट्टेबाज ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल को खिलाते है। जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही लगता है कि शहर के डॉन को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।

सट्टा माफिया मालामाल, पंटर कंगाल : क्रिकेट या किसी अन्य चीज पर सट्टा लगाने वाले को पंटर कहा जाता है। वह अपनी कमाई से सट्टे का दांव खेलता है। पंटर इसके लिए अपने इलाके या जान पहचान वाले बुकी (जो सट्टा लगवाता है) से संपर्क करते हैं। इस खेल में बुकी को पांच से दस प्रतिशत तक कमीशन मिलता है। छोटे बुकी (छोटे एजेंट) सट्टे में हुई हार जीत का हिसाब मुख्य बुकी (शहर का मुख्य एजेंट) को देता है। मुख्य बुकी हार-जीत की रकम का हिसाब करके बाकी रकम हवाला के जरिये कालीबाड़ी में बैठे सट्टा माफिया रवि तक पहुंचा देता है। हिसाब-किताब के दौरान वह अपना कमीशन भी रख लेता है। अधिकतर सट्टा खेलने वाले लोग (पंटर) अपनी रकम हार जाते हैं।

रायपुर क्षेत्र में तो ये चलता ही है आजकल आउटर क्षेत्र में भी इस खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है। बड़े खाईवाल के एजेंट जो पट्टी काटते हैं रोज हर गली-मोहल्ले में आसानी से पट्टी काटते नजर आते हैं। इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग रायपुर में खुलेआम पट्टी काटकर और मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं।

कैरियर तलाश रहे ग्राहक : सट्टे का कारोबार करने वालों पर पुलिस की नजर है। ऐसे में बड़े सटोरिए अपने छोटे-मोटे काम या व्यापार का संचालन कर पुलिस को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं, जबकि सक्रिय उनके कैरियर पुलिस में रिकॉर्ड न होने का फायदा उठाकर इस कार्य को खुलेआम अंजाम दे रहे हैं। ये लोग गली और मोहल्लों में इस कार्य को कर लोगों को मुनाफे का लालच देकर इस कारोबार में फंसा रहे हैं। ऐसे में घरों में बेरोजगार लोग इनके चंगुल में फंस रहे हैं। हालही में शहर की पॉश कॉलोनी में सट्टा खिलाते पांच युवकों को गिरफ्तार किया गया था।

सट्टा चलाने को कितने जतन : नाम ना छपने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सटोरिये बहुत चालाकी से सट्टा खिलाते हैं। पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए सटोरिये दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों से अपना धंधा चला रहे हैं। पॉश कॉलोनियों में चल रहा सट्टा कारोबार अब रायपुर के दूरदराज गांवों तक पहुंच गया है। कारोबारी इंटरनेट कनेक्शन की मदद से गांवों में सट्टा कारोबार बेखौफ चला रहे हैं। यही नहीं रवि के गुर्गे तो रायपुर के बड़े के होटलों, फार्म हाउस में कमरा बुक करके भी सट्टा खिला रहे हैं।

गोपनीयता सट्टे के धंधे का मूलमंत्र : गोरखधंधे में गोपनीयता का खास ध्यान रखा जाता है। ग्राहक और सट्टा माफिया दोनों गुप्त नाम रखकर यह खेल खेलते हैं। सट्टा लगाने वालों को भनक तक नहीं होती कि जिसके पास वह सट्टा लगा रहे हैं वह कहां रहता है, तथा उसका असली नाम क्या है। सट्टेबाजी का खेल बेशक गैरकानूनी है, लेकिन यहां लेनदेन पूरी तरह ईमानदारी से होता है। दांव लगाने वाला या सट्टा खिलाने वाला समय से भुगतान करता है। जीत चाहे लाख की हो या करोड़ की, पूरा पैसा समय से अदा कर दिया जाता है।

मुनाब-आसिफ गांजा कारोबार के बेताज बादशाह, सब्जियों की गाडिय़ों में कराते गांजा तस्करी

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले से गांजा की तस्करी की जाती है ये गांजा रायपुर की सड़कों से होकर मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जाता है। महासमुंद जिले का मुनाब गैंग जो महासमुंद जिले से कठहल, कलिंदर, अनानास, नारियल जैसे फलों और सब्जियों की बड़ी गाडिय़ों में गांजा सप्लाई करवाते है। मुनाब गैंग का गुर्गा आसिफ रायपुर से होकर जाने वाली सड़कों को सुरक्षित रखने के लिए रायपुर में पहरा देता है। महासमुंद और रायपुर जिले से पूरे हिन्दुस्तान में गांजा सप्लाई की जाती है। जनता से रिश्ता ने लगातार समाचार पत्र में ख़बरें प्रकाशित की है जिसके आधार पर महासमुंद पुलिस ने 3 दिन पहले ही गांजा की तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए गाड़ी में कटहल के कैरेट के नीचे रखकर ले जाए जा रहे एक करोड़ 62 लाख रुपए कीमत का 8 क्विंटल 10 किलोग्राम गांजा को जब्त किया था। महासमुंद पुलिस ने जब डेढ़ करोड़ का गांजा पकड़ा तो जाहिर सी बात है कि ये गांजा रायपुर होकर ही जयपुर जा रहा था। अब तो रायपुर पुलिस इस बात को इंकार ही नहीं कर सकती कि रायपुर से गांजे की सप्लाई होती ही नहीं है। जिससे जनता से रिश्ता के खबर की इससे पुष्टि हुई है। इस मामले में पुलिस ने राजस्थान के दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया था। रायपुर का आसिफ मुनाब का ही गुर्गा है जो उसके दिशा-निर्देश पर छत्तीसगढ़ की हर गली में गांजा बेचता है। मुनाब गैंग अवैध गांजा परिवहन व अवैध शराब तस्करी करते है। रायपुर पुलिस गांजा तस्करी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती जिससे करोड़ों रुपयों का गांजा रायपुर के रिंग रोड़ होकर मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में चला जाता है। महासमुंद पुलिस ने अपनी सूझबूझ से डेढ़ करोड़ का गांजा जब्त किया है। महासमुंद पुलिस ने इस मामले के बाद से अब तक कोई भी सब्जी की गाडी नहीं रोकी है। अगर पुलिस हर तरह की गाडिय़ों को रोकना शुरू कर दे तो हर तीसरी चौथी गाड़ी में भारी मात्रा में अरबों रुपयों का मारिजुआना (गांजा) मिलेगा।

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