छत्तीसगढ़: ​​​​​​​कृषि सखी सुभद्री ने कमाए रुपए 50 हजार, जैविक बाड़ी बनी आजीविका का आधार

Update: 2021-06-01 16:28 GMT

रायपुर। कृषि सखी के रूप में काम करने के साथ जैविक फसल लेने वाली श्रीमती सुभद्री क्रांति महिला स्व सहायता समूह से भी जुड़ी है और अपनी मेहनत से तरक्की की राह में आगे बढ़ रही है। कुछ साल पहले जब सुभद्री के पास काम नहीं था तब उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) बिहान के माध्यम से जैविक बाड़ी व कृषि सखी के कामकाज ने सुभद्री के आमदनी में न सिर्फ इजाफा किया, अपितु उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक साबित हुई।

कोरिया जिल के विकासखंड सोनहत के ग्राम रजौली में बिहान के माध्यम से क्रांति महिला स्व सहायता समूह की सदस्य सुभद्री कृषि सखी के रूप में तीन साल से काम कर रही है। यह उनकी अपनी मेहनत ही थी कि एक कृषि सखी के रूप में पहचान बनाने के साथ जीवन स्तर को बेहतर बनाने में सफल रही। जैविक बाड़ी व कृषि सखी कार्य को प्रारंभ करने के लिये प्रोत्साहन स्वरूप मिली राशि को उसने आमदनी में बदल दिया। अब 72 हजार रुपए की सब्जी का विक्रय किया जाता है, जिससे 52 हजार रुपए की आमदनी हुई। सुभद्री ने बताया कि कृषि सखी के रूप में वर्तमान में 6 हजार रुपए से ज्यादा की आमदनी प्राप्त कर रही है। उसे मानदेय, सब्जी उत्पादन आदि से प्रतिमाह आमदनी होती है। वह कहती है कि बिहान से जुड़कर वह अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने में सफल हुई है। पहले कुछ काम नहीं होने से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब आमदनी का जरिया होने से वह समाज व परिवारजनों के बीच पहचान बनाने के साथ जरूरत के समय परिवारजनों का मदद कर पाती है।

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