बिलासपुर। चिल्हाटी स्थित 11 एकड़ 20 डिसमिल सरकारी जमीन को दस्तावेज में कांटछाट कर अपने नाम पर कराने की कोशिश करने वाले को सरकंडा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मामले में तत्कालीन तहसीलदार ने 2015-16 में शिकायत की थी।
तहसीलदार की शिकायत की जांच के बाद पुलिस ने छह साल जांच के बाद जुर्म दर्ज किया है। तोरवा क्षेत्र के हेमूनगर में रहने वाले भोंदूदास मानिकपुरी ने 2015-16 में तहसीलदार के न्यायालय में अपनी जमीन के दस्तावेज में नाम सुधरवाने के लिए आवेदन किया था।
अपने आवेदन में भोंदूदास ने बताया कि उसने 13 जून 1963 को वासला बी. निवासी जूना बिलासपुर से जमीन को रजिस्ट्रड विक्रय पत्र के माध्यम से खरीदा था। इसके बाद से जमीन उसके नाम पर चला आ रहा है। बीते दिनों ने राजस्व दस्तावेज से उसका नाम विलोपित हो गया है।
उसने अपने आवेदन के साथ पंजीकृत विक्रय पत्र की सत्यप्रतिलिपि, मुख्य प्रतिलिपिकार जिला कार्यालय बिलासपुर से खसरा पांचसाला वर्ष 1982-83 की सत्यप्रतिलिपि, अधिकार अभिलेख वर्ष 1954-55, कलेक्टर के आदेश की प्रति, तहसीलदार के आदेश के प्रति, 1992-93 के दस्तावेज की सत्यापित प्रतिलिपि भी संलग्न की थी। दस्तावेज में सुधार के लिए आवेदन मिलने पर तहसीलदार कार्यालय में कार्रवाई शुरू कर दी गई।
इश्तेहार प्रकाशन में कोई दावा आपत्ती नहीं मिलने पर तहसीलदार ने 10 अक्टूबर 2016 को मामले को आदेश के एसडीएम के न्यायालय में भेज दिया। एसडीएम कार्यालय में जांच के दौरान पता चला कि लगरा और चिल्हाटी के आवेदित जमीन दस्तावेज में सरकारी है। इस पर मामले को जांच के लिए भेज दिया गया।
जांच में पता चला कि भोंदूदास ने अन्य लोगों की मदद से फर्जी दस्तावेज के माध्यम से सरकारी जमीन को कब्जा करने कोशिश की है। इसके लिए उसने न्यायालय में फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए है। इस पर आइजी ने जांच टीम गठित कर मामले की जांच का आदेश दे दिया। छह साल चली जांच के बाद रविवार को सरकंडा पुलिस ने मामले में जुर्म दर्ज किया है। आरोपित भोंदूदास को रविवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया है।