CG-MP उपचुनाव: मतदाताओं ने वोट मांगने पहुंचे नेताओ का उड़ाया मजाक...फिर...
नेताओं का प्रचार जारी
भांडेर। मध्यप्रदेश में इन दिनों 28 सीटों पर उपचुनाव का दौर जारी है, जिसे जीतने के लिए पार्टियां हर संभव प्रयास कर रही है. हर चुनाव में आम वोटर की जरूरतें होती है कि उसकी मूलभूत आवश्यकताएं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी की कमी को दूर किया जाए. लेकिन यहां ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की भांडेर सीट के मतदाता तो एक कदम आगे निकल कर घर के सामने ही हैंडपंप लगवाने की मांग कर रहे हैं.
यहां के मतदाताओं ने तो वोट मांगने आए नेताओ का ही मजाक उड़ाना शुरू कर दिया है. दरअसल, प्रदेश में उप चुनाव के पहले यहां के नेताओं ने गांवों में कई हैंडपंप और ट्रांसफार्मर लगाने के आदेश मंजूर करा लिए है. और उन्हीं के नाम पर लोगों से वोट देने की अपील भी कर रहे थे. लेकिन लोगों ने अपनी अलग मांग रखते हुए, नेताओं से कह दिया कि उन्हें तो हैंडपंप घर के सामने ही चाहिए, वर्ना उपचुनाव में वोट नहीं देंगे. भांडेर सीटे से बीजेपी की उम्मीदवार रक्षा संतराम सिरौनिया ने जब क्षेत्र के गांव वोट मांगने पहुंची, तो एक वोटर ने कह दिया कि दाऊ साहब के घर के सामने तो हैंडपंप लगवा दिया, हमसे क्या दुश्मनी है, यहां भी लगवा दो. जिसके बाद बीजेपी प्रत्याशी बोलीं कि उनसे जो बन पड़ा उन्होंने किया, पर फिर भी वोटर की मांग को पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं कर सकी.
ग्वालियर-चंबल क्षेंत्र में सबसे ज्यादा 16 सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसमें 5 सीटें मुरैना जिले की है. इस जिले में जितने हैंडपंप लगवाने के आदेश मिले है, उनमें से आधे हैंडपंप तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ने अपने क्षेत्र में ही खुदवा लिए. प्रदेश के पीएचई मंत्री एदल सिंह कंसाना मुरैना से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले 6 महीने में क्षेत्र में एक हजार से ज्यादा हैंडपंप और ट्रांसफॉर्मर रखवाए गए है.
सरकार की ज्यादातर योजनाओं का लाभ पिछले 6 महीने में उन क्षेत्रों में ज्यादा मिला है, जहां इस बार उपचुनाव होना है. जिसे देखते हुए ग्रामीणों ने प्रत्याशियों को बहिष्कार करने का नया हथियार उपचुनाव में नेताओं के सामने रख दिया है. यहां तक कि आस-पास के गांवों में लोगों ने बहिष्कार का बैनर ही लगा दिया है, अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया.
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के ज्यादातर उपचुनाव वाले इलाकों में यही देखने को मिल रहा है. जहां नेताओं ने पिछले 6 महीने में उपचुनाव वाले क्षेत्रों में बहुत से विकास कार्यों को अंजाम दिया है. यहां तक कि नेताओं ने खुद ही कह दिया कि जितना काम पिछले 6 महीने में किया, उतना तो कभी नहीं हुआ. कुछ का कहना है कि क्षेत्र के विकास के लिए जो भी करना पड़े वो किया गया है.