CG BREAKING: रमन सिंह की सुरक्षा से हटे NSG कमांडों

CRPF जवान करेंगे इनकी सुरक्षा

Update: 2024-10-16 15:32 GMT
Raipur. रायपुर। पूर्व सीएम और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को प्राप्त एनएसजी सुरक्षा हटा ली जाएगी. अब उनकी सुरक्षा सीआरपीएफ के सुरक्षा विंग के जिम्मे होगी. केंद्रीय गृह विभाग ने रमन सिंह के साथ नौ अन्य नेताओं की एनएसजी सुरक्षा हटाने का फैसला किया है. इनमें राजनाथ सिंह, योगी आदित्य नाथ, चंद्रबाबू नायुडू, मायावती, सर्वानंद सोनोवाल, फारुख अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद भी शामिल हैं. बता दें कि डॉ. रमन सिंह को एनएसजी सुरक्षा बीते दस वर्ष से अधिक समय से मिली हुई थी. जानकारी के अनुसार, संसद की सुरक्षा में कार्यरत सीआरपीएफ जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे वीआईपी सुरक्षा विंग में शामिल हो सकें. इसके लिए एक नई बटालियन का गठन किया गया है, जो अब विभिन्न वीआईपी की सुरक्षा का कार्य करेगी. इसके पास पहले से 6 वीआईपी सुरक्षा बटालियन मौजूद हैं और नई बटालियन के गठन के बाद यह संख्या बढ़कर सात हो जाएगी।

केंद्र सरकार ने बुधवार को नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) को VIP सिक्योरिटी से हटाने का फैसला लिया है। इनकी जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान लेंगे। अगले महीने से आदेश लागू हो जाएगा। पार्लियामेंट की सिक्योरिटी में लगे रिटायर्ड CRPF जवानों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्हें VIP सिक्योरिटी विंग में भेजा गया है। इसके लिए नई बटालियन बनाई गई है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ये जवान VIP सुरक्षा में तैनात होंगे।
CRPF
के पास पहले से 6 वीआईपी सिक्योरिटी बटालियन मौजूद है। नई बटालियन के साथ ये सात हो जाएंगी। देश में इस समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत 9 नेता ऐसे हैं, जिनकी सिक्योरिटी NSG के ब्लैक कैट कमांडो करते हैं। वीआईपी सुरक्षा में लगे NSG कमांडो को हटाने का फैसला सरकार ने किया है। 9 अति महत्वपूर्ण लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी गई और उनकी सुरक्षा में एनएसजी के कमांडो तैनात है।

अब अगले महीने से इनकी सुरक्षा का जिम्मा CRPF के हवाले होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय ने विशेष रूप से प्रशिक्षित जवानों की एक नई बटालियन को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के वीआईपी सुरक्षा प्रकोष्ठ के साथ जोड़ने की स्वीकृति भी दी है। सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (
NSG
) के ब्लैक कैट कमांडो जेड प्लस कैटेगरी के नौ वीआईपी लोगों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा अध्यक्ष मायावती, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, बीजेपी नेता और छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू हैं, जिन्हें अब सीआरपीएफ का सुरक्षा घेरा प्रदान किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि CRPF जिसमें छह वीआईपी सुरक्षा बटालियन हैं, से इस काम के लिए एक और सातवीं बटालियन को शामिल करने को कहा गया है। नई बटालियन वह होगी जो कुछ महीने पहले तक संसद की सुरक्षा में लगी थी। अधिकारी ने बताया कि संसद में पिछले साल सुरक्षा में चूक का मामला सामने आने के बाद संसद की सुरक्षा सीआरपीएफ से सीआईएसएफ को सौंप दी गई थी।

सीआरपीएफ एएसएल प्रोटोकॉल दिया जाएगा
सूत्रों के अनुसार नया कार्यभार संभालने की प्रक्रिया के तहत आंध्र प्रदेश पुलिस की एक टीम हाल में अपने मुख्यमंत्री की सुरक्षा को एनएसजी से बदलकर सीआरपीएफ को सौंपने के मद्देनजर दिल्ली में थी। सूत्रों के अनुसार, इन नौ वीआईपी में से दो को सीआरपीएफ द्वारा दिया जाने वाला उन्नत सुरक्षा संपर्क (एएसएल) प्रोटोकॉल भी प्रदान किया जाएगा। इनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ हैं। एएसएल में वीआईपी के आगामी दौरे वाले स्थान की पहले से जांच की जाती है। सीआरपीएफ देश में पांच वीआईपी के लिए इस तरह का प्रोटोकॉल अपनाता है, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के तीन कांग्रेस नेता शामिल हैं।

ब्लैक कैट कमांडो को दो दशक पहले इस काम में लगाया गया
केंद्र सरकार ने एनएसजी को पुनर्गठित करने और अयोध्या में राम मंदिर के पास और देश के दक्षिणी हिस्से में स्थित कुछ महत्वपूर्ण संपत्तियों के आसपास कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कमांडो की स्ट्राइक टीम को बढ़ाने और तैनात करने के लिए अपनी श्रमशक्ति का उपयोग करने का फैसला किया है। ब्लैक कैट कमांडो को दो दशक से अधिक समय पहले इस काम में लगाया गया था। यह काम 1984 में बल की अवधारणा और स्थापना के समय मूल रूप से इसके लिए निर्धारित नहीं था।
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