सीईओ ने 4 करोड़ की मशीन खरीदी, डेढ़ साल से धूल फांक रही

Update: 2022-05-31 05:42 GMT
  1. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: अफसरसाही हावी, मंत्री अनभिज्ञ, उच्च अधिकारियों की खामोशी का क्या है राज?
  2. किस बात का डर इन्हें सता रहा है या मौन दबंगई
  3. 4 करोड़ की फालिंग वेट डिफ्लेक्टोमीटर मशीन अनुपयोगी होकर कबाड़ में तब्दील होने की ओर
  4. केंद्र सरकार से मिले फंड का दिशा निर्देश के विपरीत व्यय कर अनुपयोगी मशीनों की खरीदी की
  5. सीएम भूपेश बघेल करते हैं फिजूलखर्ची रोकने की बात '

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत पूरे प्रदेश में हजारों किमी सड़क की मंजूरी मिली है। सड़के बन भी रही है लेकिन गुणवत्ताविहीन होने की जानकारी और शिकायत ग्रामीण करते हैं। सैय्या भये कोतवाल के चलते कुछ भी कार्रवाई नहीं होती। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना और छत्तीसगढ़ सड़क विकास अभिकरण के सीईओ आलोक कटियार को इन सब शिकायतों की कोई परवाह नहीं है। सीईओ के व्दारा गवर्नमेंट से मिले फंड का निर्देश के विपरीत व्यय कर अनुपयोगी मशीनों की खरीदी की गई

विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि उनके द्वारा फालिंग वेट डिफ्लेक्टोमीटर मशीन की खरीदी की गई है जिसकी कोई उपयोगिता ही साबित नहीं कर पाए हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि सिर्फ फायदे के लिए इस मशीन की खरीदी की गई है। इस मशीन की न्यूनतम 40 टन की भार सहने की क्षमता है, मशीन का उपयोग कम से कम 40 टन या 40 टन से अधिक क्षमता वाली सडक़ों में उपयोग होती है 40 टन से कम में मशीन काम ही नहीं आएगी तो फिर इसे खरीदने की जरुरत ही क्यों पड़ी समझ से परे है। लगभग 4 करोड़ की मशीन बिनौ कुछ काम के धूल खाते कबाड़ के कगार पर खड़ी हुई है। पीएमजीएसवी और सीजीआरआरडीए के एक अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 20 टन क्षमता की ही सड़कें बनती है और खरीदी गई मशीन की क्षमता 40 टन की है ऐसे में इस मशीन की कोई उपयोगिता ही नहीं दिखती। अलबत्ता 40 टन से कम की सड़कों में ये मशीन बेकार साबित हो रही है।

शुरू से ही गड़बड़ी

देखा जाये तो हर विभाग में टेंडर सेल होता है जो समय-समय पर खरीदी के लिए टेंडर काल करती है, उसके जिम्मेदारी होती है की किसी भी प्रकार की खरीदी के लिए विधिवत टेंडर काल करे, फिर समिति जिसमें उच्च अधिकारी भी शामिल होते हैं जिनकी सहमति से खरीदी की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। इस फॉलिंग वेट डिफ्लेक्टोमीटर मशीन की खरीदी की जिम्मेदारी अधीक्षण अभियंता टेंडर की थी, लेकिन रेगुलर अधीक्षण अभियंता (टेंडर) व्दारा इसे अनुपयोगी और फिजूलखर्ची बताकर टेंडर काल करने से इंकार कर दिया गया था। तब सीईओ आलोक कटियार ने इस मशीन को खरीदने के लिए अधीक्षण अभियंता आरसीटीआरसी को टेंडर आमंत्रित करने को कहा गया और उनके द्वारा टेंडर काल कर मशीनों की मशीनों की खरीदी कर ली गई, चूंकि पीएमजीएसवाय और एमएमजीएसवाय की सड़क ों की भार क्षमता अधिकतम 40 टन की होती है और मजे की बात है कि इस मशीन की क्षमता न्यूनतम 40 टन है इसलिए यह 40 टन भार क्षमता वाली मशीन छत्तीसगढ़ के लिए निहायत ही अनुपयोगी है हाँ अगर मशीन की भार क्षमता 20 टन की होती तो यह छत्तीसगढ़ के लिए बेहतर साबित हो सकती थी लेकिन सब बातो से सीईओ आलोक कटियार को क्या लेना देना उन्हें तो सिर्फ खरीदी करने से मतलब था। इसके पीचे उनकी क्या मंशा थी वो तो वहीं जाने । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री और सीबीआई को इसकी जांच के लिए पत्र लिखा जायेगा। वैसे भी सरकार संज्ञान में लेकर कार्रवाई करें तो काफी कुछ रोचक जानकारी भी मिलने की उम्मीद है।

जीएसटी का भुगतान नहीं

जानकारी यह भी मिली है कि एक मशीन की कीमत जीएसटी मिलकर लगभग 65 लाख की है। छत्तीसगढ़ में लगभग 6-7 मशीन की खरीदी होने की जानकारी है। मशीन की सप्लाई करीब एक साल पहले करते हुए सप्लायर ने भुगतान भी प्राप्त कर लिया है। यह भी जानकारी मिली है कि सप्लायर द्वारा जीएसटी की मांग भी किया जा रहा है।

अभी तक परीक्षण नहीं किया गया

सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि अभी तक इस मशीन का उपयोग छत्तीसगढ़ में पीएमजीएसवाय और एमएमजीएसवाय की किसी भी सड़क की भार क्षमता का परिक्षण नहीं किया गया है और न ही करने की सम्भावना दिखती है। क्योंकि छत्तीसगढ़ की सडक़े इस मशीन के भार क्षमता को देखते हुए बनी ही नहीं है। उस स्थिति में परिक्षण की सम्भावना दूरदूर तक नहीं है। यहां सड़कों की भार क्षमता 20 टन की है और मशीन की क्षमता न्यूनतम 40 टन है। आज तक कितनी सड़कों का परिक्षण किया गया कोई बताने वाला नहीं है।

ऑपरेटर भी नहीं

सबसे मजे की बात तो ये है की करोड़ों रुपये की इस मशीन को संचालित करने वाला कोई ऑपरेटर ही नहीं है। ऐसी स्थिति में इस अत्याधुनिक मशीन का उपयोग कौन और कैसे करेगा समझ से परे है।

मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-

जो दिखेगा, वो छपेगा... 

Tags:    

Similar News

-->