ईडी छापे के बीच भूपेश ने बैंक घोटाले का जारी किया वीडियो

Update: 2022-10-15 05:59 GMT

15 साल पुराने प्रियदर्शिनी घोटाले में आरोपी के नार्को टेस्ट के वीडियो से कसा तंज

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय-श्वष्ठ की कार्रवाई के बीच भ्रष्टाचार के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक जंग शुरू हो गई है। शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर के प्रियदर्शिनी सहकारी बैंक घोटाले के एक आरोपी के नार्को टेस्ट का वीडियो जारी किया। इसके साथ उन्होंने लिखा-हियर इज स्पेशल प्री दिवाली गिफ्ट फॉर भ्रष्टाचार के अंतरराष्ट्रीय पितामह। इस वीडियो में इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला सहकारी बैंक घोटाले की कहानी और एक आरोपी उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट का वीडियोग्राफी का हिस्सा है। यह घोटाला 2007 में सामने आया था वह भी बैंक बंद होने के बाद। आरोप है कि बैंक प्रबंधन और संचालक मंडल ने 54 करोड़ रुपयों का हेरफेर कर लिया था। इस मामले में आंदोलनों के बाद एफआईआर हुई।

पुलिस ने प्रबंधन से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया लेकिन सभी जमानत पर बाहर आ गए। उसी दौरान पुलिस ने बैंक के प्रबंधक उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट कराया था। इसमें उसने बताया था कि मामले को दबाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित चार मंत्रियों को चार करोड़ रुपए दिए गए थे।

बैंक प्रबंधक उमेश सिन्हा ने मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा तत्कालीन गृह एवं सहकारिता विभाग के मंत्री रामविचार नेताम, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अमर अग्रवाल का नाम लिया था। इसमें तत्कालीन डीजीपी ओपी राठौर को भी एक करोड़ रुपए दिए जाने की बात आई थी। छत्तीसगढ़ पुलिस ने नार्को टेस्ट की यह सीडी कभी न्यायालय में पेश ही नहीं की। करीब पांच साल बाद 2013 में यह सीडी बाहर आई। उसके बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा बवाल मचा था। हालांकि इन आरोपों के बाद भी भाजपा 2014 का विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही।

रमन सिंह ने श्वष्ठ की विज्ञप्ति

चस्पा कर दिया जवाब

मुख्यमंत्री के ट्वीट के करीब तीन घंटे बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ में चल रहे छापे को लेकर प्रवर्तन निदेशालय-श्वष्ठ की प्रेस विज्ञप्ति साझा की। उन्होंने लिखा-यह लो 25 रुपया प्रति टन का साक्ष्य। आगे की कार्रवाई के लिए तैयारी कर लें साथ ही अब माफी भी मांग लीजिए। सारे नाम सामने आएंगे/ सारे भ्रष्टाचार उजागर होंगे/ सच सामने आएगा/ सब सामने आएगा।

कांग्रेस-भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप

कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में चल रही श्वष्ठ की कार्रवाई को फिर से भाजपा की साजिश बताया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष ने कहा, रमन सिंह ने दो दिन पहले पत्रकार वार्ता में में इन बातों को कहा था जो आज श्वष्ठ दोहरा रही है। इनके बयानों से ऐसा लग रहा श्वष्ठ ने रमन सिंह और भाजपा की ओर से लिखी गई पटकथा को अंजाम देने के लिए सारी कवायद की है। शुक्ला ने कहा, छापे में क्या मिलने वाला है यह रमन सिंह को छापे के पहले से पता था। क्या यह संयोग है या प्रयोग?

दूसरी ओर पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, एक तरफ मुख्यमंत्री बोल रहे हैं कि हम जनता की जेब में पैसा डाल रहे हैं और दूसरी तरफ अधिकारियों के घर से पैसा क्यों निकल रहा है। अधिकारियों की गिरफ्तारी हो रही है। उनके यहां से जो निकल रहा है, वह आखिर कहां से आ रहा है? भाजपा विधायक ने कहा कि भाजपा अपनी लड़ाई लडऩे में सक्षम है। भाजपा को किसी एजेंसी का सहारा लेने की कोई जरूरत नहीं है। जांच एजेंसी स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। उनके काम पर वाद-प्रतिवाद करने का कोई प्रश्न ही नहीं है।

सरकार ने कहा- बदली व्यवस्था की वजह से 7,217 करोड़ का राजस्व मिला

राज्य सरकार ने खनिज विभाग के कोल डिस्पैच ऑर्डर की प्रक्रिया को ऑनलाइन से ऑफलाइन करने का बचाव किया है। खनिज साधन विभाग की ओर से कहा गया है, इस बदली प्रक्रिया की वजह से सरकार को सात हजार 217 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। प्रवर्तन निदेशालयने अपनी कार्रवाई में इसी ऑफलाइन कोल डिस्पैच ऑर्डर सिस्टम को भ्रष्टाचार का पेंडोरा बॉक्स बता रहा है। सरकार की ओर से बताया गया, छत्तीसगढ़ खनिज भण्डारण नियम- 2009 में विशेष परिस्थिति में खनिज पट्टेधारियों और लाइसेंस रखने वालों को खनिज को कहीं भेजने से पहले जिला कार्यालय को जानकारी देनी होती है। इसमें भेजे जाने वाले खनिज की मात्रा, उसका ग्रेड और किसको भेजा जा रहा है इस बात की जानकारी होती है। कोयले को कहीं भेजने के लिए जारी होने वाले डिस्पैच ऑर्डर की जांच के संबंध में विभाग की ओर से प्रचलित व्यवस्था के संबंध में अवगत कराया गया है। इसके तहत प्रदेश में कोयला खदानों का संचालन और परिवहन प्रमुख रूप से भारत सरकार के उपक्रम स्श्वष्टरु की ओर से किया जाता है। स्श्वष्टरु की ओर से कई स्कीम और लिंकेज, ईऑक्शन आदि के माध्यम से पॉवर और नॉनपावर श्रेणी अनुसार कई उपभोक्ताओं को कोयला दिया जाता है।

कोयले पर राज्य शासन को मिलने वाली रॉयल्टी स्श्वष्टरु की स्कीम अनुसार दिए जा रहे कोयले के बेसिक सेल प्राइज का 14त्न होता है। स्कीमवाइज पॉवर और नॉनपावर श्रेणी और ग्रेडवाइस कोयले के बेसिक सेल प्राइज में हड़ा अंतर होता है। इसी व्यवस्था के तहत सरकार को कोयला भेजने से पहले इसकी रॉयल्टी और डीएमएफ उपकर, अधोसंरचना उपकर आदि की पूर्व जानकारी होना जरूरी है। खनिज ऑनलाइन पोर्टल के तहत ऑटो अप्रूवल आधारित ई-परमिट और ई-ट्रांजिट पास व्यवस्था में तकनीकी दिक्कत थी। इसकी वजह से कोयला खान संचालक किस स्कीम के तहत किस उपभोक्ता को कौन से ग्रेड और साइज का कोयला भेज रहे हैं उसकी जानकारी मैदानी अमले को नहीं मिल पाती थी। सरकार की ओर से कहा गया, इन्हीं दिक्कतों की वजह से 15 जुलाई 2020 का निर्देश जारी हुआ। इसमें कोयला खान मालिकों को खान से कई संस्थानों, उपभोक्ताओं को कोयला भेजने के लिए ऑनलाइन पोर्टल से डिलीवरीॉ ऑर्डर के आधार पर ई-परमिट जारी करने के पहले निर्धारित प्रपत्र में संबंधित जिले के खनिज अधिकारी को आवेदन और अनुमति का प्रावधान किया गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि विभाग का मैदानी अमला इसकी समुचित जांच कर सके।

सरकार की ओर से दावा किया गया है, बदली हुई व्यवस्था की वजह से छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में कोयला खनन से प्राप्त राजस्व में लगातार वृद्धि दर्ज हुई है। इन सालों में 7 हजार 217 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। साल 2019-20 में 2 हजार 337 करोड़ रुपए, 2020-21 में 2 हजार 356 करोड़ रुपए और 2021-22 में 2 हजार 524 करोड़ रुपए की राजस्व आय शामिल है।

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