दागी और विवादास्पद अधिकारियों की मलाईदार पदों पर नियुक्ति...!

Update: 2021-02-09 05:32 GMT

प्रभारवाद की हर साख में उल्लू बनाने वाले बैठे हों तो अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा

प्रदेश के चारों बड़े निर्माण विभागों में अधिकारियों की नियुक्ति भूपेश बघेल के खिलाफ षड्यंत्र तो नहीं

प्रतिनियुक्ति और प्रभारवाद के खेल में लाखों के वारे-न्यारे

क्या विपक्ष भी मृतप्राय हो गई है?

मुख्य विपक्षी पार्टी भी आपसी मतभेदों में उलझी हुई है और ऐसे समय में इनसे जवाब मिलना नामुमकिन है

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित तमाम बड़े मंत्रियों के गृह जिलों में प्रभारवाद और प्रतिनियुक्ति सम्बन्धी समाचार जनता से रिश्ता ने प्रकाशित किया था जिसकी स्याही अभी सुख भी नहीं पाई है और राजधानी के मलाईदार पदों पर विवादास्पद और एसीबी-ईओडब्लू के छापे और जांच का सामना करने के साथ ईडी के निशाने पर रहने वाले भ्रस्ट अधिकारियों को महत्वपूर्ण और भारी भरकम बजट वाले विभागों में बिठाया जाना लोगों के समझ से परे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अथक प्रयासों से 15 साल के लम्बे अंतराल के बाद सत्ता में वापसी करने वाले संघर्षशील राजनेताओं को किस मजबूरी या जरुरत ने प्रदेश के दागी, विवादस्पद, भ्रस्ट अधिकारियो को ढो कर बदनामी मोल लेने बाध्य कर दिया? यह गंभीर और खोजपरख सवाल बना हुआ है। आखिर इन सवालों का उत्तर कौन देगा? सत्ता पक्ष के नेताओं पर इसकी जिम्मेदारी तो बनती ही है वहीं क्या विपक्ष भी मृतप्राय हो गई है?जिसे इस तरह की अनियमितता दिखाई नहीं दे रही? मुख्य विपक्षी पार्टी भी आपसी मतभेदों में उलझी हुई है और ऐसे समय में इनसे जवाब मिलना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।

पीडब्ल्यूडी में भारी गोलमाल

पीडब्ल्यूडी के प्रभारी प्रमुख अभियंता के खिलाफ ईडी में मामला दर्ज है साथ ही इनके यहां ईओडब्लू व एसीबी का छापा भी पड़ा है दोनों विभागों के मामले में जाँच जारी है, ऐसे अधिकारी को निलंबित करने के बजाय पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण और भारी भरकम बजट वाले विभाग का प्रभारी मुख्य अभियंता बनाया जाना किसी चमत्कार से कम नहीं है। ठेठ छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री भूपेश बधेल के साफ सुथरी, किसान प्रेमी साख पर बट्टा लगाने में किसी प्रकार का कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। दबी जुबान से लोग यह भी कह रहे हैं की कहीं यह भूपेश बघेल को बदनाम करने की साजिश तो नहीं है।

जलसंसाधन विभाग के भी बड़े चर्चे हैं

जलसंसाधन विभाग का कारनामा भी कुछ कम नहीं है, यहाँ भी भूपेश बघेल के मेहनत पर पानी फेरने की कोशिश हो रही है ऐसा माना जा रहा है। तथाकथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आरोपों से घिरे, अनेक भ्रष्टाचार और विवादस्पद मामलों से सम्बंधित अधिकारी को जल संसाधन विभाग के प्रभारी प्रमुख अभियंता पद पर पदस्थ किया जाना भी हैरान करने वाला निर्णय है। प्रदेश के पानी विभाग का काम तो ऐसा हो गया है जैसे भ्रष्टाचार का स्टाप डेम नहीं बल्कि बड़ा बांध बन रहा है।

कोसरिया को हटाया जाना आश्चर्यजनक

हद तो तब हो गई जब पीएचई विभाग के पूर्णकालिक प्रमुख अभियंता टी जे कोसरिया को हटाकर विभाग के दागी और विवादग्रस्त जो दुर्ग तथा बेमेतरा में अपने कार्यकाल में बहुचर्चित रहे व पाइप घोटाले में निलंबित हुए अधिकारी को प्रमुख अभियंता बनाया जाना भी लोगों के गले नहीं उतर रही है। विभागीय मंत्री की मेहरबानी से नियमानुसार विभागीय जाँच प्रक्रिया पूरी किये बगैर पूर्णकालिक प्रमुख अभियंता को हटाकर निलंबित हुए अधिकारी को मुख्य अभियंता से प्रभारी प्रमुख अभियंता के पद पर पदस्थ करना अनेक संदेहों को जन्म देता है इनके कारनामे भी केंद्र सरकार के कानों तक सुनाई दी थी। ये वहीं अधिकारी है जिनका नाम दस हजार करोड़ के महत्वाकांक्षी योजना जल मिशन अभियान के टेंडर में घोटाला करने का आरोप था। छत्तीसगढ़ के इतिहास में सबसे बड़े घोटालों में शुमार हो चुके जल मिशन योजना में सत्ता पक्ष सहित विपक्ष में हाहाकार मच गया था फलस्वरूप छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार केबिनेट की बैठक में किसी टेंडर को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित करना पड़ा। पीएचई के विवादस्पद और भ्रस्टचार के मुख्य सूत्रधार को किस मज़बूरी के तहत प्रभारी प्रमुख अभियंता बनाये रखा गया है समझ से परे है।

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग भरपूर सेवा में

प्रभारी प्रमुख अभियंता बने अधिकारी के यहाँ जब वे अधीक्षण अभियंता के पद पर थे तब और एसीबी का छापा पड़ा था। फि़लहाल दोनों में भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 के तहत केस दर्ज होने के बाद मामला विवेचनाधीन है। देखा जाये तो शासन के पदोन्नति नियम -मूलभूत नियम के तहत ईओडब्लू व एसीबी का मामला लंबित होने पर संवेदनशील पदों पर पदस्थापना और पदोन्नति दोनों वर्जित है परन्तु पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में सारे नियमों को धता बताते हुए इन्होने अधीक्षण अभियंता से मुख्य अभियंता पद पर प्रमोशन पाने में कामयाब रहे। साथ ही ये महाशय मलाईदार मुख्य अभियंता मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के साथ प्रभारी प्रमुख अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के दोनों पदों पर विराजमान हैं।

प्रतिनियुक्ति के खेल में मलाई खा रहे दागी अफसर

प्रदेश के सभी सरकारी विभाग प्रतिनियुक्ति और दोहरे प्रभार के पेंडुलम की तरह लटका हुआ है, इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग का प्रदेश में अधिकारियों का टोटा होने की बात कह रहा है।

इसी प्रकार पूरे छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का तो पूरा विभाग प्रभारवाद पर आधारित और आश्रित है। जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में कार्यरत ज्यादातर सहायक अभियंता अपने मूल पद से ऊपर कार्यपालन अभियंता के पद पर तथा कार्यपालन अभियंता अपने मूल पद से ऊपर अधीक्षण अभियंता के पद पर विगत 18-20 वर्षों से कब्जा किए हुए है।

वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पदस्थ रहकर कोरोड़ों की खाली कमाई करने वाले अधिकारियों का मायाजाल कितना सशक्त है कि किसी कार्रवाई या पत्राचार से उनके सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता ।

इसी प्रकार प्रदेश में प्रभारवाद का भी गाढ़ा रंग चढ़ा हुआ है जो 20 साल से तीन सरकारों के चढऩे उतरने के बाद प्रभारवाद का रंग नहीं उतरा। जब मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और जल संसाधन मंत्री के जिले में इतनी संख्या में अधिकारी प्रभारवाद की सीढ़ी चढ़कर विभाग के कामकाज को अंजाम दे रहे हैं तो पूरे प्रदेश की सरकारी कामकाज का अंदाजा लगाया जा सकता है।

ऐसी क्या मज़बूरी या जरुरत

सरकार के मुखिया सहित प्रभावशाली मंत्रियों की ऐसी कौन सी मजबूरी या जरूरत है जो पूर्णकालिक अधिकारियों से परहेज करते हुए अपने जिले में संविदा /प्रभारी अधिकारियों पर भरोसा कर रहे है। मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, कृषि मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्रियों के गृह जिले में प्रभारी अफसरशाही चरम पर है तो शेष छत्तीसगढ़ में प्रभारवाद की अफसरशाही कैसी होगी इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है।

विभिन्न कर्मचारी यूनियन के नेताओं से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि अधिकतर काम पेंडिंग पड़े हुए है। मुख्यमंत्री के मंशा अनुरूप कार्य नहीं हो रहे है। सरकार को चाहिए कि तत्काल प्रभारवाद को खत्म कर स्थायी अधिकारियों की नियुक्ति करे।

विकास कार्यो को मूर्त रूप देने वाले चारों निर्माण विभाग में विभागाध्यक्ष / प्रमुख अभियंता के पद पर प्रभारी प्रमुख अभियंता पदस्थ हैं

लोक निर्माण विभाग- वी के भतपहरी, प्रभारी प्रमुख अभियंता

जल संसाधन विभाग -जयंत पवार ,प्रभारी प्रमुख अभियंता

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग -डॉ. एम एल अग्रवाल ,प्रभारी प्रमुख अभियंता

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा -एस एन श्रीवास्तव, प्रभारी प्रमुख अभियंता (साथ ही मुख्य अभियंता, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के दोहरे प्रभार में) 

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