न पूछ कि मेरी मंजिल कहां है अभी तो सफर का इरादा किया है...

Update: 2024-08-30 05:41 GMT
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
सीएम का गृहग्राम बगिया अब वाकई बगिया बनने वाला है जहां सुख -समृद्धि के फूल खिलने वाले हैं। केबिनेट की पहली बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी सरकारी चिकित्सालयों में मरीजों के लिए सस्ती जेनरिक दवाओं को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए गए थे। बीते 8 माह के कार्यकाल के दौरान जशपुर जिले में स्वास्थ्य सेवा के विस्तार के लिए तेजी से काम हुआ है। वह भी ऐसे समय में जब मरीजों को खाट से अस्पताल ले जाया जा रहा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यदि इसी तरह की सोच हर जनप्रतिनिधि और विधायक काम करें तो छग को बगिया बनने में देर नही लगेगी। जनप्रतिनिधियों और विधायकों को मुख्यमंत्री के नक्शे कदम पर चलना चाहिए । इसी बात पर एक शेर याद आया न पूछ कि मेरी मंजिल कहां है अभी तो सफर का इरादा किया है। न हारूंगा हौसला चाहे कुछ भी हो जाए , ये मैंने किसी और से नहीं खुद से वादा किया है।
चाय से ज्यादा केतली गरम
कहावत पुरानी और सही भी है। मंत्री आखिर मंत्री है और यदि बहु मंत्री हो तो जेठ मंत्री तो नहीं पर मंत्री से कम भी नहीं होते। पार्षद पतियों का रौब देखने लायक रहता है तो फिर ये तो मंत्री जी के पति के बड़े भाई थे। रुतबा तो लाजिमी था। कांग्रेसी भी मौका देख लपक लिए थे लेकिन हमारी मंत्री जी भी साफगोई निकलीं उन्होंने कह दिया कोई भी हो कार्रवाई होना चाहिए। कांग्रेसी खामोश हो गए। दरअसल अंबिकापुर के बस स्टैंड में एक व्यक्ति अपने आप को मंत्री का जेठ बताकर शराब खोरी कर रहा था पुलिस के आने पर रौब झाडऩे लगा था मामला आई गई ख़त्म हो गई लेकिन प्रधान आरक्षक बलि का बकरा जरूर बन गया। उसको लाइन अटैच कर दिया गया। जनता में खुसुर फुसुर है कि चाय से ज्यादा केतली गर्म होती है देख समझ कर पकड़ें।
गांव वालों का क्या होगा...
सरकार कोई भी हो गांव के विकास में फोकस ज्यादा रहता ही है लेकिन अधिकारी सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुंचने में कोताही बरतते हैं। स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों को भरपूर सुविधा देना चाहती है लेकिन अधिकारी सब गुडग़ोबर कर देते हैं। देखा जा रहा है कि आज भी गाँवो में बुनियादी सुविधाएं नहीं है। रास्ते में कीचड़ भरा पड़ा है,एम्बुलेंस की जगह खाट से मरीज को अस्पताल लाया जा रहा है। जनता में खुसुर फुसुर है कि सरकार जरूर सुविधा देना चाहती है लेकिन अधिकारी पहुंचाते नहीं।
पुलिस सुनती नहीं
पिछले दिनों विधानसभा थाना क्षेत्र में एक युवा जो भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता था ट्रेन से काटकर आत्महत्या कर लिया। वजह जानकर बड़ा आश्चर्य होता है और शिकायत करने के बावजूद भी उसकी शिकायत पर कोई तवज्जो नहीं दिया गया और तो और क्षेत्र के भाजप विधायक जी और अन्य नेतागण भी उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिए। अन्त मे वह आत्महत्या कर लिया। दरअसल गांव के कुछ युवको ने उसके साथ जमकर मारपीट की थी और थाने में रपट लिखाने गया तो जमानती धारा लगाकर उन लडक़ों को तुरंत जमानत दिलवा दिया गया। उसी बात को लेकर युवक डर गया और कोई मदद नहीं मिलने से मौत को गले लगाना पसंद किया। जनता में खुसुर फुसुर है कि अपराधियों पर कार्रवाई जरूर होना चाहिए। एक भाजपा कार्यकर्त्ता का ये हाल है तो आम जनता का क्या आलम होगा। जीते जी उसके शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई अब मरने के कांग्रेस और भाजपा के नेता घर वालों को सांत्वना देने पहुच गए। मतलब जीते जी सूखी रोटी नहीं दिए अब मरने के बाद उनके नाम से खीर-पूड़ी खिला रहे हंै।
समय बलवान है जी
एक समय में भूपेश के इशारे पर सब कुछ चलता था लेकिन अब वो बात नहीं है। क्योकि सरकार नहीं है। दरअसल भिलाई में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेसियो पर पुलिस ने हाथ साफ़ कर दिया। भूपेश बघेल का कहना था कि सत्ता आते-जाते रहती है काम ऐसा कीजिए कि आंख मिला सकें। वहीं भाजपा नेताओ का कहना है की कानून अपना काम करेगी चाहे कोई कितना बड़ा ही क्यों न हो। जनता में खुसुर फुसुर है कि समय बलवान होता है दाऊ जी।
आयुक्त ने मचाया हडक़ंप
निगम आयुक्त इन दिनों जो काम नहीं कर रहे हैं उनके पीछे पड़ गए हैं. पहले तो होटल वालों का क्लास लिए। अधिकारी कर्मचारी सब होटल वालो के पीछे पड़ गए लेकिन अचानक आयुक्त महोदय होटल को छोडक़र गली मौहल्ले में निकल गए। वहां नालियों में जमे गन्दगी को देखकर भौंचक्के रह गए वहीं अधिकरियों और कर्मचारियों की खबर ले ली। अब कांग्रेसी पार्षद आयुक्त के पीछे पड़ गए कि उनके वार्ड में काम नहीं हो रहा है औऱ हो भी रहा तो उन्हें नहीं बुलाया जा रहा है। जनता में खुसुर फुसुर है कि अधिकारी ऐसा ही होना चाहिए कि सबका काम चलता रहे और उनका भी काम बन जाए। हर्रा लगे न फिटकीरा रंग चोखा हो जाए।
मामला रसूखदारों का था
पिछले दिनों शहर के बड़े होटल बेबीलोन कैपीटल में जुआ खेलते रईसजादे पकड़ में आये । पहले तो पुलिस ने नाम बताने से इंकार ही कर दिया था लेकिन बाद में उन्हें बताना पड़ा। वैसे भी बड़े होटलों में छापा मारने में पुलिस को सोचना पड़ता है। यदि जुआरी पकड़ में नहीं आये तो फजीहत के साथ नौकरी में भी समस्या बन आती है। इसलिए मुखबिरों के तगड़ा सबूतों के आधार पर होटल बेबीलोन केपिटल में धावा बोल ही दिया और जुआ खेलते रंगे हाथ ताशपत्ती और रकम बरामद कर ही लिया। जनता में खुसुर फुसुर है कि पुलिस जब अपने में आती है तो किसी को नहीं छोड़ती चाहे वह भूपेश हो या बेबीलोन ।
शराब घोटले के आरोपियों का उतरने वाला है नशा
ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाला मामले में 15 जिला आबकारी अधिकारियों की खुमार उतारने का इंतजाम कर लिया है। पूर्व में गिरफ़्तार आरोपियों के बयान के आधार पर पूछताछ होने वाली है। शराब घोटाला के मामले में जांच एजेंसी ने उन अफसरों की भूमिका के बारे में गहन पूछताछ की गई। साथ ही तत्कालीन आबकारी आयुक्त और अन्य अफसरों द्वारा दिए जाने वाले निर्देश के बारे में सबसे अलग-अलग पूछताछ हुई यानी बंटवारा कैसे करते थे। जल्द ही घोटाले में गिरफ्तारी हो सकती है। जनता में खुसुर-फुसर है कि आबकारी अधिकारी अपने अधिकार का बेजा दुरुपयोग करते थे, शराब और पानी में अंतर ही नहीं समझते थे, अब अधिकारियों को बताना पड़ेगा कि शराब की तासिर और पानी की तासिर में कौन ज्यादा असरकारक है। ईओडब्ल्यू तो उनकी कुंडली निकाल रखी है और पानी-पानी करने की ठान चुकी है। शराब दुकान से लेकर कोचियों तक पहुंचाने का खेल के असली खिलाड़ी अब इधर-उधर दौड़ते फिर रहे हैं। आबकारी वाले जितने साहब औऱ मैडम है विभाग को निजी उपक्रम की तरह चलाने वाले अब ईओडब्ल्यू के जद में आ गए है।
टिकट वीरों की दौड़ शुरू ...
रायपुर दक्षिण विधानसभा का उपचुनाव जब होगा तब होगा लेकिन छुटभैया नेताओ् की दौड़ शुरू हो चुकी है। जिसको देखो वही भाजपा के बड़े नेताओं के ईद-गिर्द घूमते नजर आ रहे हंै। बृजमोहन अग्रवाल तो सांसद बन गए लेकिन दक्षिण के नेता आज भी उन्हें ही विधायक मानते हैं। दक्षिण के नागरिकों का कहना है कि बृजमोहन का कोई विकल्प नहीं है। ये नेता जो दक्षिण की परिक्रमा कर रहे वो तो बृजमोहन के रैली में झंडाबरदार हुआ करते थे, अब टिकट की दावेदारी करने लगे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा को यदि यह सीट वाकई में बचानी है तो एसे नेता को टिकट दे जो बृजमोहन का विश्वासपात्र हो। दक्षिण की राजनीति लोगों को आसान दिखाई देती है पर है नहीं । खबर है कि बृजमोहन ने अभी तक किसी के नाम की अनुशंसा नहीं की है। जबकि तथाकथित नेता लोग पान ठेले में गुटका चबाते यह कहते फिर रहे है कि अभी भैया के साथ दिल्ली गया था, कल ही आया हूं। इसका मतलब साफ है कि भैया की मंजूरी मिल गई है?
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