रायपुर। छत्तीसगढ़ के सैकड़ों व्यावसायिक प्रशिक्षक मंगलवार को अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर समग्र शिक्षा कार्यालय पहुंचे. जहां उन्होंने वेतन, मेडिकल लीव, ग्रीष्मकालीन छुट्टी समेत अपनी 10 सूत्रीय मांगों और विभिन्न समस्याओं से अवगत कराते हुए समाधान की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा. वहीं समाधान न होने की स्थित में व्यावसायिक प्रशिक्षकों ने परिवार समेत सड़क की लड़ाई लड़ने की चेतावनी दी हैं.
इन 10 मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
मेडिकल लीव का प्रावधान.
ग्रीष्मकालीन अवकाश का प्रावधान.
आत्मानंद स्कूल की तर्ज पर वेतन दिया जाए, साथ ही हर साल सम्मानजनक इंक्रीमेंट प्रदान की जाए.
वेतन 10 तारीख से पहले प्रदान की जाए, वेतन देनें में विलंब करने वाले ट्रेनिंग पार्टनर को पूर्व की तरह ब्लैकलिस्ट लिया जाए.
बच्चें 12वीं कक्षा उत्तीण करने के बाद सर्टिफिकेट के लिए स्कूल आते है, लेकिन व्यवस्था के अभाव में आजतक सर्टिफिकेट बच्चों को प्राप्त नहीं हुआ है.
व्यवसायिक शिक्षकों समय पर किताबे प्राप्त नहीं होती है, वहीं किताबो का ट्रांसलेशन भी पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण है. किताब का ट्रांसलेशन एनसीआरटी के माध्यम से कराई जाए ताकि बच्चों को उसका उचित लाभ मिल सके.
गेस्ट लेक्चर और इंडस्ट्री विजिट के लिए पर्याप्त एडवांस फंड प्रदान किया जाए और एडवांस नहीं देने वाले ट्रेनिंग पार्टनर पर उचित कार्यवाही की जाए.
महिलाओं को मातृत्व अवकाश नही मिलता है जिससे महिला प्रशिक्षक अंतिम दिनों तक स्कूल जानें को मजबूर है. वहीं डिलीवरी के कुछ दिनों के भीतर ज्वाइन करने को मजबूर होतें है या तो उन्हें 6 महीने नो वर्क नो पेमेंट में रखा जाता है या फिर उनकी जगह नए प्रशिक्षक का सौदा कर नई नियुक्ति कर दी जाती है.
बहुत से स्कूलों में अबतक लैब नहीं बना है और जहां बन चुका है, वहां लैब मेंटेनेंस के अभाव में लगभग शट डाउन है. इसके लिए पर्याप्त फंड विद्यालय को दिया जाए.
अधिकतर स्कूलों में प्रशिक्षकों को स्कूल का हर वो काम कराया जाता है जो काम क्लर्क का होता है, जिससे प्रशिक्षक गुणवत्ता पूर्वक बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहें है. वहीं मना करने पर अलग-अलग तरीकों से परेशान किया जाता है और ऑर्डिनेटर को अवगत कराने पर खुद से मैनेज करने की बात कहता है. जिससे परेशान होकर वो प्रशिक्षक खुद नौकरी छोड़ देता है या तो उसको हटाकर दूसरा प्रशिक्षक रख लिया जाता है.