8 युवक और 14 युवती पकड़ाई, पॉश इलाके में फेक कॉल सेंटर का हुआ भंडाफोड़

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Update: 2022-11-22 11:38 GMT

रायगढ़। रायगढ़ पुलिस को साइबर ठगी में अब तक की सबसे बड़ी सफलता मिली है. दरअसल जिले के विभिन्न थानों में पंजीबद्ध ऑनलाइन ठगी के मामलों में अज्ञात आरोपियों की पतासाजी के लिये पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीना के कुशल मार्गदर्शन, एडिशनल एसपी संजय महादेवा के पर्यवेक्षण पर सायबर सेल व थाना के स्टाफ की गठित अलग-अलग पुलिस टीमें पिछले कुछ दिनों से दिल्ली, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल में दबिश दिया जा रहा है जिसमें पुलिस को थाना कोतवाली, थाना लैलूंगा एवं थाना पुसौर के मामलों में बड़ी सफलता हाथ लगी है, जिले की एक टीम अभी भी दिगर प्रांत में आरोपियों की पतासाजी पर है।

सीएसपी रायगढ़ अभिषेक उपाध्याय के नेतृत्व में गठित 15 सदस्यीय टीम द्वारा करीब एक सप्ताह से पश्चिम बंगाल के विभिन्न ठिकानों पर दबिश के क्रम में अंतर्राज्यीय साइबर ठगों गिरोह के मूल ठिकाने पर सुनियोजित तरीके से छापेमार कार्यवाही किया गया है, जिसमें पुलिस टीम के हाथ ऑनलाइन ठगी के गोरख धंधे में शामिल आरोपित 8 युवक और 14 युवती हाथ आये हैं । रायगढ़ की पुसौर पुलिस द्वारा एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोलकाता के न्यायालय से थाना पुसौर के ऑनलाइन ठगी मामले में वांछित इन 22 आरोपियों का ट्रांजिट रिमांड के लिए अर्जी पेश किया गया जिसमें 8 आरोपी युवकों का माननीय न्यायाधीश द्वारा ट्रांजिट रिमांड दिया गया तथा 14 आरोपित युवतियों को सशर्त अंतरिम बेल का लाभ देकर ट्रांजिट रिमांड खत्म होने की अवधि के पूर्व रायगढ़ न्यायालय में उपस्थित होने आदेश दिया गया है । सभी 22 आरोपियों को पुसौर के धोखाधड़ी मामले में न्यायिक रिमांड पर पेश किया जावेगा ।

थाना पुसौर का पंजीबद्ध अपराध का संक्षिप्त विवरण-

जानकारी के मुताबिक थाना पुसौर के अपराध क्रमांक 357/2022 धारा 420 आईपीसी के प्रार्थी आदित्य मिश्रा निवासी ग्राम महलोई थाना पुसौर द्वारा थाना पुसौर में 8 सितंबर 2022 को एक लिखित आवेदन देकर धोखाधड़ी का रिपोर्ट दर्ज कराया गया था जिसके अनुसार उसे अगस्त माह में 3 अलग-अलग मोबाईल नंबरों से अज्ञात व्यक्ति (साइबर ठग) कॉल कर गांव में एयरटेल कंपनी का टावर लगाने के संबंध में चर्चा कर घर व प्लाट चाहिये बोला था और घर व प्लाट के एवज में प्रति माह 15,000 रूपये किराया व बोनस तौर पर 15 लाख रूपये एक साथ देने का लालच दिये थे । ऐसा कहकर ठगों ने डाक्यूमेंट्स तैयार करने, इंश्युरेंस, NOC व मटेयिल के लिए रूपये जमा करना होगा कहकर कुल 1,82,460 रूपये जमा कराकर धोखाधड़ी किया गया था ।

पुलिस की रेड कार्रवाई-

एसपी अभिषेक मीना द्वारा एडिशनल एसपी संजय महादेवा एवं सीएसपी रायगढ़ अभिनव उपाध्याय को मामले की सूक्ष्मता से जांच पड़ताल के निर्देश दिए गए और साइबर सेल प्रभारी एसआई कमल किशोर पटेल को पीड़ित को जिन नंबरों से कॉल कर रुपयों की ठगी की गई थी उन नंबरों को सर्विलांस में रखकर इनपुट निकालने का काम काम सौंपा गया ।

सीएसपी रायगढ़ अभिनव उपाध्याय केवल 6 संदिग्ध नंबर के धारकों की पतासाजी के लिए पुलिस टीम लेकर पश्चिम बंगाल रवाना हुए । टीम को पुलिस अधीक्षक मीना मार्गदर्शन कर रहे थे । उन्होंने साइबर सेल को आवश्यक जानकारियां टीम को शेयर करने कहा गया था । रायगढ़ पुलिस स्थानीय कोलकाता जोरासांकी पुलिस की मदद से जोरासांकी मेट्रो के गेट परबड़ी सूझबूझ से रेड कर आरोपी शमसूद हुसैन (19 साल) निवासी बेलगछिया रोड़ कोतकाता को हिरासत में लिया गया । आरोपी शमसूल पुलिस की कड़ी पूछताछ में बताया कि उसका ऑफिस उसी लोकेशन में संचालित है जहां तक पुलिस पहुंच रही थी और एग्जैक्ट लोकेशन नहीं मिलने से आरोपियों की तलाश बेसुध था ।

आरोपियों का तरीका वारदात-

आरोपी शमसूल हुसैन बताया कि उस बिल्डिंग के दो कमरों को उनका परिचित (कॉल सेंटर के दोनों संचालक) किराए में लेकर अवैध तरीके से कॉल सेंटर चला रहे हैं । इस कॉल सेंटर में छल और ठगी का गिरोह चलाया जा रहा है । ये लोग पूरे भारत में लोगों को मोबाइल टावर लगाने के नाम पर कॉल कर ठगते हैं । सभी का अलग-अलग कार्य हैं, ऑफिस में मैनेजर- गोपाल कंडारऔर दीपिका मंडल तथा टीम लीडर- बीना साव उर्फ़ डाली, मधु यादव, जूली सिंह, स्नेहा पाल, पूजा राय है तथा उनके साथ – राम कुमार साव, पूजा सिंह, विशाल सेठ, पिंकी राजभर, पूजा पासवान, पूजा शर्मा, रिंकी साव, इंद्रोजीत दास, पूजा दास, अंकु गुप्ता, अनिल शाह, कामिनी पोद्दार, प्रियंका चौधरी, रोहित साव सभी लोगों को ठगी करने में माहिर हैं । ऑफिस के स्टाफ दो अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं - जिसमें एक "राधे-राधे" और दूसरा "नेवर गिव अप ग्रुप" है इनके सीनियर के कहने पर सभी आरोपीगण प्रतिदिन 250 से 300 लोगों को कॉल करते हैं और अपना-अपना डायरी मेंटेन करते हैं कि कस्टमर से कितने रुपए प्राप्त हुए किन से क्या डॉक्यूमेंट लेना है । इन सब का जिक्र उस डायरी में होता था । सभी अलग-अलग नामों से लोगों को कॉल करते थे । आरोपी शमसूल बताया कि उसके सीनियर गूगल से सीरीज नंबर लेकर इन्हें मुहैया कराते थे और उन नंबरों पर कॉल कर लोगों को अपने झांसे में लेना होता है । ये लोग सबसे पहले कॉलर से टावर लगाने के नाम पर लुभावनी स्कीम बताते थे जिसमें उनसे पूछा जाता था कि क्या उनके पास 10X10 का जमीन है किसके अधिकार की जमीन है । उसके बाद जमीन पर टावर लगाने की फ्रॉड स्कीम बताकर प्रलोभन देते थे कि इन्हें 10 साल के लिए 15,00,000 रुपए देंगे, ₹12,000 प्रतिमाह किराया देंगे तथा घर के एक पढ़े-लिखे सदस्य को 10 से 15,000 की नौकरी भी दी जाएगी । जब कॉलर राजी हो जाता था तब उन्हें कमर्सियल लायसेंस, इंश्युरेंस, NOC आदि के नाम पर ड्क्युमेंट व रूपये मांगे जाते थे । इनके पास केवल एक स्मार्टफोन मोबाइल नंबर 8902251001 है जो उनके कॉल सेंटर में रखा है । इस स्मार्टफोन का इस्तेमाल व्हाट्सएप के जरिए डॉक्यूमेंट मंगाने का होता था । कस्टमर इनके लुभावने स्कीम में आ जाने पर उन्हें अपने सीनियर कॉल सेंटर के दोनों संचालक, मधु, गोपाल, स्नेहा, बिना उर्फ डाली, दीपिका मंडल, पूजा राय आदि हैंडल करते थे । इनका कहना है कि हर 5 में से एक व्यक्ति इनके झांसे में आता है । सीएसपी पूरी जानकारी लेने के बाद एसपी श्री मीना को अवगत कराये । एसपी श्री मीना रेड का समय निर्धारित कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया व टीम को गोपनियता बरतने की समझाईश दिये । पुलिस टीम स्थानीय जोरासांकी पुलिस को लेकर 3 अलग-अलग टीमें बनाकर शमसुल हुसैन को लेकर सुभाष नगर रोड दक्षिण दमदम के एक पुराने बिल्डिंग के दो कमरों में संचालित हो रहे अवैध कॉल सेंटर के बाहर पहुंची । टीम बाहर जाने के रास्तों को ब्लॉक कर एकाएक सीएसपी अपनी टीम लेकर कमरे तक पहुंचे । सबसे पहले एक कमरे को बाहर से बंद कर दौड़कर दूसरे कमरे तक पहुंचे । इतने में बंद कमरे में अंदर रहे युवक युवती मामले को भापकर स्वयं दरवाजे को अंदर से बंद कर अपने मोबाइल व कुछ सामग्रियों को खिड़की से नीचे फेंक रहे थे । तत्काल एक आरक्षक बिल्डिंग के नीचे जाकर सामानों को नाली में जाने से बचाया । तब सीएसपी दोनों कमरों में स्टाफ के साथ जाकर अपने नियंत्रण में लिये स्थानीय पुलिस की मदद से कॉल सेंटर में काम कर रहे 14 लड़की व 8 लड़कों को उनके हितबध्द्ध साथियों के काफी विरोध के बाद हिरासत में लेकर पूछताछ कर आरोपियों से घटना में प्रयुक्त आफिस तथा उनके स्वयं के नीजी प्रयोग के 44 मोबाइल तथा सभी आरोपियों के डायरियां जप्त किया गया है ।

जांच में पता चला कि कॉल सेंटर के संचालक के बैंक अकाउंट में कोई रकम नहीं रखता था वह अपने परिचितों को धोखे में रखकर उनके आईडी पर बैंक अकाउंट खोल कर उनका एटीएम, चेक बुक वगैरह उपयोग कर रहा था और कस्टमर से फोन पे, गूगल पे तथा बैंक अकाउंट के माध्यम से रुपए प्राप्त करता था ।

आरोपियों के जप्त मोबाइल में लगे सिम का कॉल रिकॉर्ड निकालकर साइबर सेल की टीम द्वारा उन नंबरों से किए गए कॉल की जानकारी लेने पर छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग, कोरबा, खैरागढ़, धमतरी, कबीरधाम तथा मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल में आरोपियों द्वारा ठगी की जानकारी मिली है जिसमें ठगी की रकम एक करोड़ से अधिक रुपए का होना पता चला है । रायगढ़ पुलिस आरोपी के मुंबई, कोलकाता, त्रिपुरा आदि स्थानों में खोले गए 9 बैंक अकाउंट फ्रीज कराए गए हैं । पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक मीणा के दिशा निर्देशन पर संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों से संपर्क कर उन्हें पत्राचार कर मामले की जानकारी दी गई है । फरार कॉल सेंटर के संचालक की खोज में पुलिस की एक टीम लगी हुई है ।

एसपी अभिषेक मीना के दिशा निर्देशन एवं एडिशनल एसपी संजय महादेवा के मार्गदर्शन पर गठित टीम के टीम लीडर सीएसपी अभिनव उपाध्याय, थाना प्रभारी पुसौर निरीक्षक सीताराम ध्रुव, सायबर सेल/चौकी प्रभारी उप निरीक्षक कमल किशोर पटेल, थाना पुसौर के सहायक उपनिरीक्षक, कमल सिंह, हेमसागर पटेल, उमाशंकर विश्वाल, थाना चक्रधरनगर के सउनि इंगेश्वर यादव कोतरारोड़ की सहायक उपनिरीक्षक कुसुम कैवर्त, थाना चक्रधरनगर के प्रधान आरक्षक हेम प्रकाश सोन, थाना पुसौर की प्रधान आरक्षक जेनिपा पन्ना, आरक्षक सुरेश सिदार, दिनेश सिंह, प्रताप बेहरा, रंजीत भगत, ओश्निक विश्वाल, थाना कोतवाली से उत्तम सारथी, सायबर सेल के प्रधान आरक्षक राजेश पटेल, दुर्गेश सिंह, रेणु सिंह मंडावी, आरक्षक धनंजय कश्यप महेश पंडा, प्रशांत पंडा, नवीन शुक्ला, महिला आरक्षक मेनका चौहान की अहम भूमिका रही है ।

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