छत्तीसगढ़ में 12 बकरों की बलि देकर निभाई गई 616 साल पुरानी परंपरा

Update: 2024-10-12 05:10 GMT

जगदलपुर jagdalpur news। बस्तर दशहरे की महत्वपूर्ण रस्मों में से एक निशा जात्रा की रस्म नवरात्रि की महाष्टमी की देर रात अदा की गई। इस रस्म को पूरा करने के लिए करीब 12 बकरों की बलि देकर 616 साल पुरानी परंपरा निभाई गई। बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने आधी रात मां खमेश्वरी की पूजा-अर्चना कर इस रस्म को पूरा किया। उन्होंने बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य की रक्षा करने देवी से कामना की। jagdalpur

chhattisgarh news इस रस्म की शुरुआत करीब 616 साल पहले की गई थी। इस तंत्र विधाओं की पूजा राजा-महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से राज्य की रक्षा के लिए करते थे। सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार निशा जात्रा विधान को पूरा करने के लिए 12 गांव के राउत माता के लिए भोग प्रसाद तैयार किए। वहीं राज परिवार के सदस्य लगभग 1 घंटे तक पूजा अर्चना किए। Bastar Royal Family

इस विधान को पूरा करने के लिए 12 बकरों की बलि देकर मिट्टी के 12 पात्रों में रक्त भरकर पूजा अर्चना करने की परंपरा है। निशा जात्रा पूजा के लिए भोग प्रसाद तैयार करने का जिम्मा राजुर, नैनपुर, रायकोट के राउत का होता है। ये समुदाय के लोग ही भोग प्रसाद कई सालों से माता खमेश्वरी को अर्पित कर रहे हैं।

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