पापुनि में 2017-19 के दौरान 320 करोड़ की गड़बड़ी

Update: 2021-06-04 05:39 GMT

लोकल फंड आडिट की टीम ने पकड़ी घालमेल

रायपुर (जसेरि)। पाठ्य पुस्तक निगम (पापुनि) में पुस्तकों की छपाई से लेकर प्रिंटिंग के काम देने और अफसरों- कर्मचारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने की गड़बड़ी सामने आई है। इसका खुलासा करती हुई स्थानीय निधि संपरीक्षा की 2017 से 2019 तक की अवधि की ऑडिट रिपोर्ट शिक्षा विभाग और निगम को सौंप दी है। रिपोर्ट को मानसून सत्र में विधानसभा में रखा जाएगा। तीन सालों की आडिट में लगभग 320 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी पकड़ी गई है। रिपोर्ट में टेंडर निकालने की प्रक्रिया के साथ ही वाहनों को किराए पर लेने, अफसरों कर्मचारियों को दिए गए भत्तों के साथ ही चहेतों को काम देने में अफसरों कर्मचारियों की मिलीभगत का भी खुलासा किया गया है। ऐसी मिलीभगत कर निगम के अफसरों नेवाहन, धुलाई व चिकित्सा भत्ते पर 36 लाख रुपए खर्च कर डाले।

मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार रेट्रोरिफ्लेक्टिव साइन बोर्ड एवं मैग्नेटिक ग्रीन बोर्ड की खरीदी के लिए निकाली गई निविदा में मे. होप इंटरप्राइजेज के अलावा शामिल तीन अन्य एजेंसियों के डाक्यूमेंट्स फर्जी पाए गए। एजेंसियों ने टेंडर डाक्यूमेंट्स में सिग्नेचर भी नहीं किए थे। इसके बावजूद टेंडर स्वीकृत करके होप इंटरप्राइजेस को 2017-18 से 2019-20 के बीच सप्लाई का काम दे दिया। इसमें सामग्री का स्पेसिफिकेशन एवं सप्लाई के बाद तकनीकी जानकारी रखने वाले अफसरों द्वारा जारी परीक्षण प्रमाण पत्र नहीं पाया गया। इस अवधि में बिना जरूरत के ही पुस्तकों की प्रिंटिंग की गई, जबकि छपाई से पहले कक्षा, विषय एवं वास्तविक जरूरत का आंकलन जरूरी है। इस तरह से 30 करोड़ से ज्यादा की पुस्तकें अनुपयोगी रह गईं। कक्षा 11वीं और 12वीं की पुस्तकों की बिक्री कम होने से लगभग 10 करोड़ और पुस्तकों का वितरण नहीं होने से 18 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। इसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई में भी बाधा पहुंची क्योंकि सरकार द्वारा मुफ्त में पुस्तकों को बांटे जाने के कारण अन्य प्रकाशन इन पुस्तकों का प्रकाशन नहीं करते हैं।

अफसरों व कर्मचारियों को हर साल प्रोत्साहन राशि देने के साथ ही उनके सिम कार्ड रिचार्ज करवाने पर 34 लाख से ज्यादा की राशि खर्च की गई। इसके अलावा वाहन, धुलाई व चिकित्सा भत्ते के रूप में 36 लाख रुपए का भुगतान किया गया। चिकित्सा भत्ता के रूप में 200 रुपए के स्थान पर एक हजार और 1500 रुपए का भुगतान किया गया।

जांच समिति ने इसे गलत बताते हुए वसूली के आदेश दिए हैं। बता दें कि वित्त विभाग के आदेश के अनुसार कोई भी निगम- मंडल अपने कर्मचारियों के वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को जिसमें कोई वित्तीय भार शामिल हो, उसे शासन की सहमति के बाद ही स्वीकृत करेगा, लेकिन पापुनि के अफसरों व कर्मचारियों को बिना शासन की अनुमति के ही भुगतान किया गया।

जांच रिपोर्ट विस में पेश होगी

सरकार ने हमें जांच की जिम्मेदारी दी थी। हमने जांच के आधार पर रिपोर्ट बनाकर सरकार और निगम को दे दी है। इसे आगामी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा।

-अनुराग पांडेय, डायरेक्टर लोकल फंड आडिट

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