...जबकि 1.388 हेक्टेयर भूमि बेचकर ही मिल सकता है 300 करोड़

Update: 2021-02-23 05:56 GMT

सिंचाई कॉलोनी रिडेव्हपमेंट: हाउसिंग बोर्ड 605 करोड़ खर्च कर बचाएगा 135 करोड़

हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को मिली कमाई की खुली छूट

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। न्यू शांति नगर में सिंचाई कालोनी के रिडेव्हलपमें योजना से हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को कमाई का नया रास्ता मिल गया है। योजना से जहां बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारी चांदी काटेंगे वहीं सरकार को लाभ के नाम पर 135 करोड़ का झुनझना दिखाया जा रहा है। कालोनी की बेशकीमती जमीन के साथ 1.388 हेक्टेयर सरकारी जमीन को हाउसिंग बोर्ड को रियायतों के साथ मामूली दर पर हस्तांतरित कर हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को कमाई करने का सुनहरा अवसर गिफ्ट में दे दिया गया है। इस पूरी योजना में हाउसिंग बोर्ड ने 605 करोड़ खर्च कर सिर्फ 135 करोड़ बचाने का प्लान तैयार किया है। इस योजना में जीई रोड गौरव पथ से लगी 1.388 हेक्टेयर भूमि(13880 वर्गमीटर अथवा 149349,8 वर्ग फीट)को भी शामिल किया गया है जिसका व्यवसायिक इस्तेमाल किया जाएगा। इस भूमि को ही अगर 20,000/- रुपए प्रति वर्ग फुट के दर से अगर बेची जाती तो सरकार को लगभग 300 करोड़ रुपए मिल जाते, लेकिन कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के लिए हाउसिंग बोर्ड को पूरी जमीन कौड़ी के दाम परोस दी गई है।

हितग्राही भूले नहीं है तालपुरी घोटाला

हाउसिंग बोर्ड के कारगुजारियों की बड़ी लंबी फेहरिस्त है, हाउसिंग बोर्ड शुरूआत से ही अपने कामकाज को लेकर सुर्खियों में रहा है। भ्रष्टाचार तो हाउसिंग बोर्ड के जीन में है। बिना भ्रष्टाचार के यहां कुछ काम हो जाए संभव ही नहीं है। असल में हाउसिंग बोर्ड को चलाने वाले सभी स्टाफ 2000 में राज्य विभाजन के समय एक अतिरिक्त प्रमोशन लेकर प्रतिनियुक्ति वाले है। भोपाल में एलडीसी रहे या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रहे हो छत्तसीगढ़ हाउसिंग बोर्ड में ज्वाइन होते ही अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया जो आज हाउसिंग बोर्ड को मरणासन्न अवस्था के कगार पर लाकर खड़ी कर दी है। कहीं ऐसा न हो की इसकी भी दुर्गति राज्य परिवहन की तरह न हो जाए। कहने का मतलब यह है अरबों रुपए कर्ज लेने के बाद भी हाउसिंग बोर्ड के सारे प्रोजेक्ट फेल हो गए है। तालपुरी हाउसिंग बोर्ड की ऐसी महत्वाकांक्षी योजना थी जिससे घर चाहने वालों को उनकी मनपसंद घर हाउसिंग बोर्ड को बनाकर देना था, लेकिन भोपाल से भ्रष्टाचार की बीज रोपित अधिकारियों-कर्मचारियों ने तालपुरी को चाटपुरी बनाकर चट कर दिया। आज तक वहां घर खरीदने वाले पश्चाताप कर रहे है। कि किस मनहूस घड़ी में हाउसिंग बोर्ड की तालपुरी प्रोजक्ट में पैसा इनवेस्ट किया। घर के बजाय घटिया निर्माण और काम चलाऊ खिड़की दरवाजे लगाकर सबसे घटिया गुणवत्ताहीन मकान सौंप कर तालपुरी की पूरी मलाई अधिकारी और कर्मचारी चटकर गए। और उस फाइल को बड़ी होशियारी गायब करा दिया, वह फाइल आज तक गायब है।

भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को ही बड़ी जिम्मेदारी

सिंचाई कालोनी शांतिनगर में बनने वाले रिडेवलपमेंट योजना को भ्रष्ट अधिकारियों ने बड़ी चतुराई से सरकार के सामने प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया जिसमें सरकार को 135 करोड़ मुनापे का सब्ज बाग दिखाया गया। जबकि इसकी वास्तविकता कुछ और है। यदि सरकार शांति नगर की जमीन को सिर्फ अपने राजस्व अलमे के माध्यम से बेचती तो वर्तमान बाजार बाभ दो हजार रुपए के ऊपर है, यदि दो हजार रुपए की दर से भी जमीन बेचती तो सरकार को शुद्ध 300 करोड़ की आय होती। जबकि सरकार हाउसिंग बोर्ड के 605 करोड़ के प्रोजेक्ट को बनवाकर मात्र 135 करोड़ कमाने जा रही है। जबकि यह 300 करोड़ के ऊपर होता जो अब हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारी अपने शातिर दिमाग से कमाने वाले है। जिसमें मटेरियल से लेकर जमीन के बंटरबाट करने में मोलभाव कर के साथ कमर्शियल काम्प्लेक्स की सारी फ्रंट की दुकाने अपने परिवार वालों को सौंप कर सात पीढ़ी तक मालामाल बने रहने का रास्ता निकाल लिया है। क्योंकि जो कमर्शियल काम्प्लेक्स बनेगा उसकी भी बोली लगेेगी और हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ठ अधिकारी हर बार की तरह फ्रंट को मंत्री कोटा में रिजर्व कर उसकी बोली नहीं लगवाएंगे और बाद में अपने बीबी -बच्चों साली-साले के नाम से खरीदी करावा कर मालामाल हो जाएंगे।

सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों की चरित्रावली देखे बिना ही उन्हें सौंप दिया काम

हाउसिंग बोर्ड भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है, सरकार ने उनके भ्रष्टाचार को अनदेखी कर उन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों को काम सौंप दिया जिसके खिलाफ पिछले 15 साल से भ्रष्टाचार का मामला कोर्ट में चल रहा है। सरकार को चाहिए था कि इन भ्रष्ट अधिकारियों जब तक भ्रष्टाचार के आरोप से बरी नहीं हो जाते तब तक काम नहीं देना था, वैसे भी वहां के सारे बड़े पोस्ट में काम करने वाले अधिकारी जहां भी रहे उन पर भ्रष्टाचार के केस दर्ज हुए है? ऐसे में यो अधिकारी अपने फाइलों और रिकार्डो को गायब करा कर या रिकार्ड रूम में आग लगवाकर बचे हुए है। जिसकी आज तक जांच ही नहीं हो पाई है और ये भ्रष्ट अधिकारी बड़े -बड़े प्रोजेक्ट बनाकर सरकार को कमाई का जरिया बता रहे है। दरअसल इसके पीछे इनकी मंशा हर हाल में कमाई और सिर्फ कमाई है। हाउसिंग बोर्ड घाटे में जाए तो जाए अधिकारियों को तो दोनों तरफ से कमाई होनी चाहिए। इसलिए शांतिनगर में गिद्ध दृष्टि डालकर कमाई का सारा माल हड़प जाना चाहते है। शांतिनगर में रिडेवलपमेंट योजना से सरकार को सिर्फ 135 करोड़ मिलेगा जबकि हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी योजना में बिना कुछ किए 200 करोड़ कमाने वाले है। सरकार तो सिर्फ हाउसिंग बोर्ड के साजिश का शिकार हो रही है। यह योजना जब दो साल में नहीं बनेगी तो सरकार पर आरोप लगेगा कि शांति नगर को तोड़ कर अशांति फैला कर हाउसिंग बोर्ड को नोडल अधिकारी बनाकर अधिकारियों के लिए फिर चारागाह खोल दिया है। उनके कमाई के रास्ते में आ रहे सभी कांटों को दूर कर खुली कमाई का रास्ता खोल दिया है।

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