उत्तराखंड-गुजरात में दिखेगा भाजपा का यूसीसी मॉडल, पसमांदा समुदाय के बीच सहमति बनाने के प्रयास
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर लोगों की राय जानने की तिथि बढ़ाकर 28 जुलाई कर दिए जाने के बाद से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार इस बिल को वर्तमान सत्र में नहीं लाएगी। भाजपा का यूसीसी पर क्या मॉडल होगा, इसकी झलक उत्तराखंड और गुजरात में दिखाई पड़ सकता है, जहां इसे सबसे पहले लागू करने की तैयारी की जा रही है। इस बीच भाजपा ने पसमांदा मुसलमानों के बीच समान नागरिक संहिता पर समर्थन बढ़ाने का अभियान तेज कर दिया है।
लखनऊ में जुड़े पसमांदा समुदाय के दिग्गज
राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज (RMPM) को पसमांदा समुदाय का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है। इस संगठन की अगुवाई में लखनऊ में पसमांदा समुदाय के बीच यूसीसी पर बहस आयोजित कराई जा रही है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी और यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री दानिश आजाद शामिल हैं। पसमांदा समुदाय के बड़े चेहरों के द्वारा यूसीसी पर जोरदार बहस कराकर उनके बीच इस मुद्दे पर सहमति बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
पसमांदा मुसलमानों के बीच सहमति बनाने की कोशिश
माना जा रहा है कि इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए भाजपा मुसलमान समुदाय में सबसे ज्यादा आबादी वाले पसमांदा समुदाय के बीच अपनी पहुंच बढ़ाना चाहती है। यूपी विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक में भाजपा को 6 प्रतिशत से आठ प्रतिशत तक मुसलमान मतदाताओं के वोट मिलते रहे हैं। भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे का प्रयास है कि इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक किया जाए। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि 27 जुलाई पर एक कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।
यूसीसी पर पसमांदा समुदाय के बीच चर्चा सहित इन सभी कार्यक्रमों को मुसलमानों के बीच भाजपा की पहुंच बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पसमांदा समुदाय के बीच सहमति बनने से यूसीसी का विरोध कमजोर पड़ सकता है जो सरकार के पक्ष में जा सकता है।