पीएसयू की मदद से आधुनिक बनेगा आजादी का केंद्र रहा स्वर्ण जयंती पुस्तकालय
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बेगूसराय। देश को ब्रिटिश दासता से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बिंदु रहे बेगूसराय के स्वर्ण जयंती पुस्तकालय के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सरकार एवं सार्वजनिक उपक्रमों के सहयोग से इस पुस्तकालय को मॉडल बनाया जाएगा। इसके लिए सोमवार को डीएम रोशन कुशवाहा ने पुस्तकालय भवन का गहनता पूर्वक निरीक्षण किया तथा आवश्यक जानकारी ली। अचानक ही पुस्तकालय पहुंचे डीएम ने सबसे पहले परिसर में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद पूरे पुस्तकालय का भ्रमण कर मौजूद कर्मी एवं कमेटी के सदस्यों से जानकारी ली।
मौके पर उपस्थित जिला शिक्षा पदाधिकारी शर्मिला राय, बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के संयुक्त सचिव डॉ. सुरेश प्रसाद राय एवं रंगकर्मी अमित रौशन सहित अन्य लोगों ने विभिन्न जानकारी उपलब्ध कराई तथा अविलंब जीर्णोद्धार करने का अनुरोध किया। इस दौरान डीएम ने पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की दुर्दशा एवं भवन की दशा पर दुख जताते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिया। डीएम ने बताया कि स्वर्ण जयंती पुस्तकालय बेगूसराय का धरोहर है। इस धरोहर को बचाने के लिए पूर्व में भी बैठक की गई थी, जिसमें कई समस्या सामने आई। इसके जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार को लिखा जाएगा, इसके अलावा सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) से अनुरोध कर सीएसआर फंड से पुस्तकालय भवन का जीर्णोद्धार, दीमक लग रहे किताबों का संरक्षण एवं अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। डीएम ने बताया कि इस धरोहर को हर हालत में बचाया जाएगा तथा शहर के इस प्रमुख केंद्र को मॉडर्न बनाया जाएगा। ताकि आने वाले लोग सुविधाजनक तरीके से अध्ययन कर सकें, आजादी के पूर्व के इतिहास को पढ़ सकें, जान सकें और समझ सकें।
पुस्तकालय जब मॉडल बन जाएगा तो ना केवल साहित्य प्रेमी और बुद्धिजीवियों को अध्ययन करने में सुविधा होगी, बल्कि विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को भी काफी सहूलियत होगी। उल्लेखनीय है कि बेगूसराय शहर में 1935 में स्वर्ण जयंती पुस्तकालय की स्थापना की गई थी। जो पुस्तकालय ना केवल स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बिंदु रहा, बल्कि सुभाष चंद्र बोस भी यहां आ चुके हैं। लेकिन करीब 20 हजार पुस्तकों से सुशोभित यह पुस्तकालय आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है। भवन की हालत यह है कि नीचे बैठे पाठकों के शरीर पर छत का कौन सा हिस्सा गिर जाएगा, यह कहना मुश्किल है। संरक्षण के अभाव में किताबों में दीमक लग चुका है। लंबे समय से इसके जीर्णोद्धार की मांग उठ रही है, जिसके बाद अब प्रक्रिया शुरू हुई हैं तथा जल्द ही मुख्य भवन में रखे गए किताबों को दूसरे जगह शिफ्ट करके, इसके जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू होगी।