गया न्यूज़: मगध विश्वविद्यालय में वर्षों से चल रहे व्यवसायिक पाठ्यक्रम शैक्षणिक अराजकता की भेंट चढ़ गई. विश्वविद्यालय के लापरवाही के कारण बिहार सरकार से सीट अप्रूव नहीं हो सका.
इसका नतीजा हुआ कि फिजियोथेरेपी और विदेशी भाषा विभाग को छोड़कर अन्य सभी स्नातक व स्नातकोत्तर स्तरीय व्यवसायिक पाठ्यक्रम में सत्र 2022-23 में एक भी नामांकन नहीं हुआ. जिसके कारण इस सत्र में जीरो सेशन रहा.
व्यवसायिक कोर्स जीरो सेशन में रहा. वर्ष 2023-24 में भी नामांकन पर संशय बरकरार है. अब तक बिहार सरकार से सीटों का निर्धारण नहीं हुआ है. जुलाई से नया सेशन शुरू होता है. मार्च का महीना समाप्त होने को है. बिहार सरकार से सीटों का निर्धारण नहीं होने के प्रत्याशा में 2022-23 में नामांकन पर ही रोक लगा दी गई है. इस स्थिति में छात्र और वोकेशनल कोर्स के संस्थान दोनों चिंतित हैं. इन दिनों मगध यूनिवर्सिटी बहुत ही खराब दिनों से गुजर रही है. सेशन में देरी की समस्या लंबे अरसे से चली आ रही है, बीए पार्ट वन और वोकेशनल कोर्स में तीन तीन बैच का एडमिशन हो चुका है. पर एक की भी परीक्षा नहीं हुई और जिसकी परीक्षा हुई है. उसका रिजल्ट जारी नहीं किया गया. जिससे छात्र प्रभावित हैं.
बिहार सरकार से सीट अप्रूव होना जरूरी वोकेशनल कोर्स के विभिन्न विषयों में छात्र-छात्राओं के नामांकन लेने से पहले उसके लिए सीटों का निर्धारण सरकार से कराना जरूरी कर दिया गया है. यूजीसी के निर्देश पर राज्य शिक्षा विभाग ने सीट अप्रूव होना जरूरी कर दिया है.
इसके तहत वोकेशनल पाठ्यक्रम संचालन की अनुमति का आदेश, शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों की सूची, उनका आधार संख्या व उसके बैंक खाते की जानकारी शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराना है. वोकेशनल कोर्स से संबंधित आधारभूत संरचना की उपलब्धता की भी जानकारी देनी है.
शिक्षा विभाग ने एमयू को भी सीट निर्धारण कराने को लेकर पत्र भेजा. लेकिन शिक्षा विभाग के पत्र के आलोक में मगध यूनिवर्सिटी ने खुद ही पहल करते हुए स्नातक स्तरीय वोकेशनल कोर्स में नामांकन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. उस वक्त रहे तत्कालीन कुलसचिव ने कार्यालय आदेश जारी करते हुए स्नातक वोकेशनल कोर्स में तब तक नामांकन नहीं होगा, जब तक सरकार से सीटों का निर्धारण नहीं होता है. विश्वविद्यालय में अब तक सरकार से सीटों का निर्धारण होने की प्रत्याशा में नामांकन और परीक्षा होता रहा है.