शातिर साइबर अपराधी विश्नोई गैंग की तरह किराए के खाते में पैसा मंगा रहे थे

ठगी के शातिरों के तार भी पाकिस्तान से जुड़े हैं

Update: 2024-03-30 05:30 GMT

मुजफ्फरपुर: करीबी की गिरफ्तारी का झांसा देने समेत विभिन्न तरीकों से 103 करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी में गिरफ्तार शातिरों की कार्यशैली पंजाब के कुख्यात लॉरेंस विश्नोई गैंग से मिलती जुलती है. ठगी के शातिरों के तार भी पाकिस्तान से जुड़े हैं. पुलिस इसकी जांच में जुटी है. वहीं, साइबर ठगी करने वाले गैंग के छह शातिरों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. यहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

हरियाणा पुलिस ने लॉरेंस विश्नोई गैंग से जुड़े शातिरों के जिले के कांटी के अलावा बेतिया और गोपालगंज से गिरफ्तार किया था. उनके पास से भी बड़ी संख्या में घोस्ट खाते मिले थे. तब ठगी के शातिरों से पूछताछ में पाकिस्तान, दुबई आदि का कनेक्शन सामने आया था. साइबर ठगी में भी इसी तरह से लोगों को कॉलिंग की गई और घोस्ट एकाउंट से हवाला के रुपये विदेश भेजे.

मामले में साइबर डीएसपी सीमा देवी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित में दरभंगा के कमतौल थाना के बरमपुर निवासी अंकित कुमार, रौशन कुमार, रतनपुर निवासी दीपक कुमार, मोतिहारी के तुरकौलिया थाना के सरैया मुन्नी इनार निवासी अरशद आलम और अमजद आलम, मुजफ्फरपुर के साहेबगंज निवासी जितेंद्र कुमार को जेल भेजा गया है.

जब्त चारों लैपटॉप का ठगी में हो रहा था इस्तेमाल

पुलिस ने शातिरों के चार लैपटॉप जब्त किए हैं. चारों लैपटॉप का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए किया जा रहा था. लैपटॉप से कई वैज्ञानिक साक्ष्य मिलेंगे. इसके लिए पुलिस चारों लैपटॉप की जांच एफएसएल से कराएगी. इसके लिए कोर्ट में लैपटॉप पेश कर मंजूरी ली जाएगी. पुलिस ने गिरफ्तार शातिरों के पास से चार लैपटॉप, 19 विभिन्न बैंक के पासबुक, आठ अलग-अलग बैंकों के चेकबुक, चार आधार कार्ड, 17 एटीएम कार्ड, 13 अकाउंट ओपनिग किट, पांच पैन कार्ड, चार सिम कार्ड, सात मोबाइल और अन्य कागजात बरामद किया गया है.

कई जिलों में भी इस गिरोह का नेटवर्क

पुलिस छानबीन में पता चला है कि बिहार के कई अन्य जिलों में भी इस गिरोह का नेटवर्क है. मास्टरमाइंड विदेश से गैंग को गाइड कर रहा है. गिरोह के गुर्गों का स्थानीय सरगना मोतिहारी के सरैया मुन्नी इनार निवासी अरशद आलम ने कई अन्य खुलासे किए हैं. कमीशन पर युवाओं को गैंग में जोड़कर उन्हें टास्क सौंपा जाता था. पुलिस के टोन में कॉल करने के लिए युवाओं को ट्रेनिंग दी जाती थी. कॉलिंग के समय गिरोह के गुर्गे पीछे से ऐसी आवाज क्रिएट करते थे जैसे पुलिस टीम किसी को थर्ड डिग्री देकर पूछताछ कर रही है. अब तक की छानबीन में गिरोह के डेढ़ दर्जन अन्य शातिरों को चिह्नित किया गया है.

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