Nalanda के हज़ारो किसान सम्मान निधि के लाभ से होंगे वंचित, जाने कारण
"ई-केवाईसी का पेच लगने के कारण इन किसानों की राशि पर तलवार लटकनी तय"
नालंदा: 19वीं किस्त की राशि जारी होने वाली है. विडंबना यह कि जिले के 7876 किसानों ने अबतक ई-केवाईसी नहीं कराया गया है. ई-केवाईसी का पेच लगने के कारण इन किसानों की राशि पर तलवार लटकनी तय है.
लाभ से वंचित होना पड़ेगा. धरती पुत्रों के पास अब भी मौका है. समय रहते प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं तो राशि के हकदार बन सकते हैं. पिछले तीन सालों में कई बार मौके किसानों को ई-केवाईसी कराने के लिए दिये गये हैं. साथ ही कृषि विभाग द्वारा पंचायत स्तर पर इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया. फिर भी अबतक 76 फीसद ही ई-केवाईसी का लक्ष्य पूरा हुआ है. चार फीसद अब भी शेष है. नियम में बदलाव के बाद पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे सभी किसानों को ई-केवाईसी, लैंड सीडिंग और खाता का एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन इंडिया) से लिंक कराना जरूर कर दिया गया है. एक लाख 91 हजार हैं लाभुक किसान: जिले में पीएम किसान सम्मान योजना के करीब एक लाख 91 हजार 108 किसान लाभान्वित हैं. इनमें से एक लाख 82 हजार 232 किसानों ने ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है. इनके खाते में योजना की राशि भेजी जा रही है. जबकि, सात हजार 876 किसानों ने ई-केवाईसी की प्रक्रिया अब भी पूरी नहीं की है.
ई-केवाईसी कराने से वंचित रह चुके किसानों को जागरूक किया जा रहा है. पंचायत स्तरीय कर्मियों को इसकी जवाबदेही दी गयी है. किसानों से अपील है कि कर्मियों की मदद से अथवा पास के वसुधा केंद्र में जाकर ई-केवाईसी जरूर करा लें. ताकि, अगली किस्त की राशि मिल सके.
-राजीव कुमार, डीएओ, नालंदा
तीन किस्तों में मिलता है 6 हजार
योजना के तहत निबंधित प्रत्येक किसान को साल में तीन किस्तों में छह हजार रुपया का भुगतान किया जाता है. उद्देश्य यह कि पूंजी के अभाव में खेती-बाड़ी का काम प्रभावित न हो. राहत यह भी कि नये आवेदन कर चुके किसानों का सत्यापन हर हाल में 31 कर लेने का आदेश कर्मियों को दिया गया है.
घर-घर जाकर सत्यापन
बताया यह भी जा रहा है कि बार-बार चेतावनी के बाद भी ई-केवाईसी न कराने वाले किसानों में कई अपात्र तो कई की मृत्यु होना भी मुख्य कारण हो सकता है. अब विभाग पंचायत स्तरीय कर्मियों को चिह्नित किसानों के घर-घर भेजकर यह पता लगाने का प्रयास कर रहा है कि आखिर किन कारणों से ई-केवाईसी नहीं कराया जा रहा है.
सत्यापन में अगर किसान अपात्र या मृत पाये जाते हैं तो वैसे किसानों का नाम डीबीटी पोर्टल से हटाने की प्रक्रिया होगी.