कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने पदाधिकारियों के साथ बैठक में संस्कृत की पढ़ाई पर ज़ोर दिया

आसपास के 10 लोगों को पढ़ाएं संस्कृत: कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय

Update: 2024-05-15 07:42 GMT

गया: हम अपने घर के बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं यह बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन सिर्फ इससे काम चलने वाला नहीं है. संस्कृत के फलक को विस्तारित करने के लिए इसके अतिरिक्त आसपास के कम से कम 10 बच्चों को भी हम लोग संस्कृत पढ़ाएं.

ये बातें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने पदाधिकारियों के साथ बैठक में कही. कुलपति ने कहा कि ऐसा करने से संस्कृत के जानकारों की सशक्त श्रृंखला बनेगी और इस भाषा के लिए नया वातावरण भी तैयार होगा जिससे इसकी पैठ सुलभता से समाज में हो जाएगी. उन्होंने कहा कि समाज को संस्कृत के प्रति आकर्षित करने की जरूरत है. लोगों की श्रद्धा आज भी संस्कृत में है. पीआरओ निशिकांत ने बताया कि संस्कृत की मौजूदा दशा व दिशा पर कुलपति ने बेहद चिंता जताई.

कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना करीब छह दशक पूर्व हुई, बावजूद यहां संस्कृत में कार्यशैली नहीं पनप पायी. यहां के कई विद्वानों ने देश स्तर पर ख्याति हासिल की है, लेकिन समाज मे संस्कृत लोक भाषा नहीं बन पायी, इस पर किसी का ध्यान नहीं जा सका. संस्कृत को देवभाषा-देववाणी कहे जाने से इस भाषा के प्रति भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी और दिनों दिन इस भाषा से समाज दूर होता चला गया. हमने इसे सीमित कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन के व्यवहार व उपयुक्त वातावरण से ही संस्कृत पुष्पित व पल्लवित होगी. इसे लोक भाषा बनाने को हर सम्भव प्रयास जारी रखने की जरूरत है.

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