मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत बच्चों को आपदा से बचाव की दी जानकारी

Update: 2024-03-20 07:12 GMT

भागलपुर: मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रखंड के मिडिल स्कूल मेहदौली, भीठ, पालीडीह, प्रखंड कॉलोनी, महेशपुर, अतरुआ सहित सभी प्राइमरी, मिडिल व हाई स्कूलों में सुरक्षित का आयोजन किया गया. फोकल शिक्षकों ने बच्चों को चक्रवाती तूफान व धूल भरी आंधी से बचाव के टिप्स बताए. गर्मी के महीने में अक्सर तूफान आता है. आंधी-बारिश में बड़े पैमाने पर पेड़-पौधे, बिजली के तार पोल व कमजोर मकान ध्वस्त हो जाते हैं. फसलों को भी भारी नुकसान होता है. धूल भरी आंधी से बचने के लिए लोगों को मास्क से सिर, आंख, नाक, कान को बचाते हुए, चेहरे को ढंकना चाहिए. गमछा या अन्य सूती कपड़े का इस्तेमाल करने की बात बतायी ताकि सांस लेने में धूल नाक तक नहीं पहुंचे. बच्चों को बताया गया कि आंधी के वक्त सीधी दिशा में नहीं बल्कि झुक जाना चाहिए. तूफान आने के वक्त गाड़ी चलाने की मनाही कर सुरक्षित जगह पर रुक जाने, तूफान के शांत होने पर ही निकलना चाहिए. मजबूत दीवार के पीछे छिपने, घर मकान में बिजली चालित उपकरण को बंद करने, घर के गेट-खिड़की को बंद करने की सलाह दी गयी. मौके पर एचएम अशोक कुमार सिंह, रईस उद्दीन, प्रमोद साह, विश्वनाथ, शिक्षक अनिल, अजनीश, कीर्ति, रूबी, पम्मी, अमर शंकर, राजेन्द्र आदि थे.

स्कूल में कम कमरा रहने से परेशानी

मात्र चार कमरे के विद्यालय में वर्गों की पढ़ाई होती है. इन्हीं चार कमरों में से एक कमरे में कार्यालय भी चलता है एवं दूसरे कमरे में मध्याह्न भोजन की सामग्री भी रखी जाती है. यह मामला उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू फफौत का है. इस विद्यालय को अपनी जमीन बहुत कम है. स्कूल की जमीन पर मात्र चार कमरे बने हुए हैं. कमरों के अभाव में बरामदे पर भी वर्ग संचालन किया जाता है. साथ ही एक कमरे में दो से तीन वर्गों की पढ़ाई भी होती है. प्रधानाध्यापिका समीदा बानो ने बताया कि जमीन की कमी से वर्ग कक्ष का अभाव है.

इसके कारण एक कमरे में दो दो वर्गों का संचालन किया जा रहा है. इससे पठन पाठन व्यवस्था प्रभावित होती है. विद्यालय में 276 बच्चे नामांकित हैं. यहां कुल शिक्षक शिक्षिकाओं का पदस्थापन है. इनमें तीन शिक्षक एवं 11 शिक्षिकाएं शामिल हैं. अत्यंत पिछड़े पंचायत फफौत के अल्प संख्यक बाहुल्य मुहल्ले में स्थापित इस स्कूल में और वर्ग कक्ष बनाए जाने की जरूरत है. स्कूल भवन अत्यंत पुराना होने के कारण दोमंजिला नहीं बनाया जा सकता. विभाग को स्कूल की समस्याओं से कई बार अवगत कराया गया है परन्तु विभाग इस ओर ध्यान नही दे रहा.

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