मार्च की शुरुआत में ही सूख रही त्रिवेणी संगम नदी

Update: 2023-03-14 11:41 GMT

मधुबनी न्यूज़: बीते साल ही बाढ़ आया था. लेकिन उत्तर बिहार सहित आसपास इलाके की बेहद चर्चित पिपराघाट के कमला, बलान व सोनी नदी की त्रिवेणी संगम नदी खुद प्यासी होने लगी है. संगम की नदियां पूरी तरह से सूखी हुई हैं. जगह-जगह बालू की रेत पर घास उग आया है. नदी से सूख रहे पानी से नदी का अस्तित्व खतरे में है. बारिश में बाढ़ से और अभी ही सूखे के हालात बनने लगे हैं. स्थानीय लोग नदी के ऐसे रूप से चितिंत हैं. श्याम सुंदर दास,रमण व सुमन लाल इसको लेकर चिंता जाहिर करते हैं कोसों दूरी तक बालू के रेत ही रेत और संगम के पेट में गाद के टीले ही देखे जा रहे हैं.

इसमें नहाना तो दूर, आचमन के लिए भी इसका जल उपयुक्त नहीं है. किसान सुनील कुमार मंडल हो या कृष्ण देव यादव इनकी माने तो संगम के पानी से जहां बड़े पैमाने पर इलाके के किसानों की खेती होती रही है. वहीं पड़ोसी मुल्क नेपाल के तराई से लेकर गंगा के मैदानी क्षेत्र तक के श्रद्धालुओं का सालों भर हर पर्व त्योहार को लेकर स्नान करने वास्ते श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है.

क्या कहते हैं पर्यावरण के जानकार: पर्यावरणविद डॉ. विवेक झा बताते है कि संगम में गाद प्रबंधन नहीं होने के कारण यह संकट गंभीर रूप धारण कर रही है. बाढ़ और सूखा संकट से मजदूर किसान और पशु पालक वर्ग के लोगों को भी समस्याओं से जुझना पड़ता है. गंदगी, धुंआ और अन्य वजहों के बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण नेपाल से होकर मैदानी क्षेत्र में होने वाले नदियों के धारा प्रवाह में दिन ब दिन लगातार गिरावट आ रही है.

नतीजा यह हुआ कि नदियों में पर्याप्त जल संरक्षण नहीं हो रही है.

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