नालंदा न्यूज़: धूल, धुंआ और पर्यावरणीय धुंध की परत के संकट से निपटने का एक मात्र उपाय धरा को हरा भरा रखना यानि पौधरोपण है. पौधों की कमी के कारण ही धरती को बुखार यानि ग्लोबल वार्मिंग लग गया है, तो मौसम का मिजाज बिगड़ गया है.
ऐसे में हमें धरती की ताप व बुखार को ठीक करने के लिए हर दिन मनाना होगा. क्योंकि ये पेड़ पौधे हमारे जीवन के लिए अमूल्य हैं. पूरी दुनिया विश्व मनाती है. पेड़ पौधे लगाए जाते हैं. इसके बाद अगले 364 दिन उसकी याद भी नहीं आती. एक आदमी के लिए जीवन में प्राण वायु ऑक्सीजन के लिए 18 पेड़ की आवश्यकता पड़ती है. एक व्यक्ति को कम से कम इतने पेड़ों का जिम्मा तो लेना ही चाहिए. विश्व की पूर्व संध्या पर मिशन हरियाली नूरसराय के संस्थापक राजीव रंजन भारती ने बताया कि हाल के दिनों से युवाओं की टोली इसके लिए सतत प्रयासरत है. लेकिन, हमें इसे सामुदायिक तौर पर शुरू करना होगा.
पेड़ पौधों की रक्षा करनी होगी. तभी आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध वायु, पानी व मिट्टी मिलेगी. धरती का ताप कम होगा. बीते सात वर्षों में जिले के नूरसराय के 33 युवाओं की टोली पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है. 16 जून 2016 से अब तक सात सालों में जिला व जिला से बाहर अन्य प्रदेशों में भी मिशन हरियाली नूरसराय ने अमरूद, कटहल, महोगनी, शरीफा, नींबू के 12 लाख 23 हजार 589 पौधे लगवाए हैं. इसकी देखरेख भी की जा रही है. पर्यावरण संरक्षण में उत्कृष्ट कार्य करने को लेकर सीएम व पूर्व उपमुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया है. जिले से लेकर राज्य स्तर पर मिशन हरियाली दर्जनों बार सम्मानित हो चुका है.
बेलदारीपर गांव बना हरित ग्राम मिशन हरियाली ने नूरसराय के बेलदारीपर गांव को हरित ग्राम बनाया है. इस गांव में महोगनी, अमरूद, कटहल, नींबू, आम, शरीफा व बेल के सात हजार से अधिक पौधे लगाए गए थे, जो आज पेड़ बन फल दे रहे हैं. इसके अलावा नूरसराय के पारसी, थरथरी के अस्ता, रहुई के देकपुरा, अम्बा, शामाबाद गांव को भी हरित ग्राम बनाया जा रहा है.
नालंदा के अलावा नवादा, शेखपुरा, बेगूसराय, पटना, जहानाबाद, झारखंड के गिरिडीह जिले में भी लोगों को निशुल्क पौधा उपलब्ध करा गांवों को हरा भरा बनाया जा रहा है. संस्थापक राजीव रंजन भारती ने बताया कि नालन्दा और आसपास के जिले के हर परिवार के पास अमरूद के कम से कम एक या ज्यादा पेड़ हो, इसके लिए प्रयास जारी है. मिशन द्वारा अपना उगाओ अपना खाओ अभियान चलाया जा रहा है.