पांच वर्ष के बच्चों की मौत की होगी इंट्री

Update: 2023-03-15 10:10 GMT

मधुबनी न्यूज़: जिले में पांच वर्ष तक के उम्र के बच्चों की मौत की पोर्टल पर इंट्री होगी. जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए मातृ-शिशु की मृत्यु के कारणों को (एमपीसीडीएसआर) मैटरनल पेरिनेटल चाइल्ड डेथ सर्विलांस एंड रिस्पांस वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (शिशु स्वास्थ्य) डॉ. विजय प्रकाश राय ने सिविल सर्जन को 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों की होने वाली मृत्यु का शत-प्रतिशत प्रविष्टि एचएमआईएस एवं एमपीसीडीएसआर पोर्टल पर शत-प्रतिशत करने का निर्देश दिया है.

सिविल सर्जन डॉ. ऋषि कांत पांडे ने बताया इसके माध्यम से शिशु मृत्यु का ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज होता है. पहले जिले में शिशु मृत्युदर समीक्षा की रिपोर्ट मैन्युअल ही दर्ज की जा रही थी. शिशु मृत्यु की समीक्षा रिपोर्ट दर्ज होने के बाद शिशु मृत्यु की समीक्षा व कारणों को पता लगाने में सहूलियत होती है. स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्युदर की समीक्षा रिपोर्ट प्रक्रिया को सुगम और सरल बनाने के लिए डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रहा है.

क्या है इसका मुख्य उद्देश्य इसका मुख्य उद्देश्य है कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ससमय समीक्षा कर उसका त्वरित निष्पादन करने में सहूलियत होगी. राज्य स्तर पर शिशु मृत्युदर की समीक्षा को मैटरनल पेरिनेटल एंड चाइल्ड सर्विलांस रेस्पोंस सॉफ्टवेर है.

यानी एमपीसीडीएसआर सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है. एसआरएस वर्ष 2020 के अनुसार बिहार के शिशु मृत्यु दर में 2 अंकों की कमी आई है. राज्य की शिशु मृत्यु दर घटकर 27 हो गयी है. वहीं, देश का शिशु मृत्यु दर 28 हुआ जो राज्य के शिशु मृत्यु दर से 1 अंक अधिक है. विगत पांच सालों से जिले के शिशु मृत्यु दर में निरंतर कमी आ रही है. वर्ष 2015 में जिले की शिशु मृत्यु दर 42 थी, जो 2016 में घटकर 38 हुई थी.

इन कर्मियों को किया गया है प्रशिक्षित

जारी पत्र के अनुसार संबंधित चिकित्सा महाविद्यालय, अस्पताल के पेट्रिशियन, सीआईडी नोडल नीकु, एसएनसीयू डाटा एंट्री ऑपरेटर, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई से क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक, क्षेत्रीय डेटा एवं अनुश्रवण मूल्यांकन पदाधिकारी, क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी तथा जिला स्वास्थ्य समिति से एसीएमओ और जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी को प्रशिक्षित किया जा चुका है.

क्या है एमपीसीडीएसआर सॉफ्टवेयर

सिविल सर्जन डॉ ऋषि कांत पांडे ने बताया एमपीसीडीएसआर पोर्टल के माध्यम से शिशु मृत्यु का ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज होता है. पहले जिले में शिशु मृत्युदर समीक्षा की रिपोर्ट मैन्युअल ही दर्ज किया जा रहा था. शिशु मृत्यु की समीक्षा रिपोर्ट दर्ज होने के बाद शिशु मृत्यु की समीक्षा व कारणों को पता लगाने में सहूलियत होती है. इस नई पहल को जिले में शुरुआत कर दिया गया है. जिसका आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम देखने को मिलने लगेगा.

स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्युदर की समीक्षा रिपोर्ट प्रक्रिया को सुगम और सरल बनाने के लिए डिजिटलाइजेशन पर विशेष जोर दे रहा है.

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