बिहार में सरकार और राजभवन के बीच शह - मात के खेल के बीच टकराव बढ़ने की आशंका

Update: 2023-08-22 14:08 GMT
 
पटना (आईएएनएस)। बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रतिकुलपति के वेतन रोकने के मामले में शिक्षा विभाग और राज भवन में चल रहे शह और मात के खेल के बीच माना जाने लगा है कि दोनों में टकराव और बढ़ेगा।
दरअसल, बिहार शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों बीआरए के कुलपति और प्रति कुलपति के वेतन पर रोक लगाते हुए उनके वित्तीय अधिकार को भी रोक दिया। इसके बाद राजभवन ने शिक्षा विभाग के हस्तक्षेप पर विरोध जताते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर की।
राजभवन ने विभाग को अपना आदेश वापस लेने के निर्देश दिए। राज भवन ने विभाग को कहा कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के सेक्शन 54 में सरकार को विश्वविद्यालयों के ऑडिट का अधिकार दिया गया है। लेकिन, वेतन बंद करने, वित्तीय अधिकार रोकने और बैंक खाता फ्रीज करने का अधिकार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि विभाग ने कॉलेजों का निरीक्षण न करने, लंबित परीक्षा के आयोजन में लापरवाही आदि को लेकर कार्रवाई की थी।
इधर, शिक्षा विभाग ने राजभवन के पत्र के जवाब में एक पत्र भेजा है। हालांकि विभाग ने वेतन रोकने के आदेश को अभी तक वापस नहीं लिया है।
सूत्र बताते हैं कि शिक्षा विभाग ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार सालाना विश्वविद्यालयों को 4000 करोड़ रुपए देती है, लिहाजा शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालयों को उनकी जिम्मेदारी बताने, पूछने का पूर्ण अधिकार है कि वे इस राशि का कहां और कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
बहरहाल, मुद्दे को लेकर सरकार और राजभवन में टकराव को स्थिति उत्पन्न होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग के मनमाने फैसलों के कारण प्राथमिक स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक में अराजकता-अनिश्चितता की स्थिति है।
उन्होंने कहा कि एक विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोकने के आदेश शिक्षा विभाग की मनमानी कार्रवाई के ताजा नमूने हैं। नीतीश कुमार को अपने अतिसक्रिय नौकरशाहों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि न शैक्षणिक वातावरण बिगड़े और न राजभवन से टकराव की स्थिति पैदा हो।
सुशील मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, जो उसके अधिकार क्षेत्र में न हो। शिक्षा विभाग ने पहले विश्वविद्यालयों में चार साल का डिग्री कोर्स शुरू करने की कुलाधिपति-सह- राज्यपाल की पहल का विरोध किया और अब बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति-प्रतिकुलपति का वेतन रोकने की कार्रवाई कर अपनी हदें पार कर दी।
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