सिवान न्यूज़: राज्य के विभिन्न स्थानों पर ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के 15 से अधिक लोकप्रिय मेले आयोजित किए जाते हैं. ये ऐसे मेले हैं, जो राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग या पर्यटन विभाग के स्तर पर अब तक अधिसूचित नहीं हुए हैं. न ही इन्हें बिहार राज्य मेला प्राधिकार की परिधि में ही लिया गया है. इनमें कुछ मेलों को अधिसूचित कराने को लेकर बीच में पहल की गई थी, लेकिन फिर नतीजा नहीं निकला. लोक परंपरा, लोक रंग के साथ स्थानीयता को समाहित किए इन मेलों का आयोजन और प्रबंधन प्रत्येक वर्ष स्थानीय लोगों की कमेटी तय समय पर करती है. सरकार के स्तर पर अधिसूचित नहीं होने की वजह से प्रशासनिक स्तर से इन्हें किसी तरह की आर्थिक या अन्य मदद नहीं मिलती है. ये कमेटियां स्थानीय स्तर पर ही चंदा संग्रह करके मेलों का आयोजन करती हैं. सरकार की तरफ से इन्हें कोई सहायता नहीं मिलने के कारण कुछ का वजूद संकट में पड़ता जा रहा है.
अधिसूचित होने के ये फायदे
इसके आयोजन की जिम्मेदारी संबंधित जिला प्रशासन की होगी. डीएम की अध्यक्षता में बैठक करके जिला प्रशासन राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजेगा. इसके आधार पर विभाग की तरफ से राशि जारी की जाएगी. इन मेलों का अस्तित्व बच सकेगा. सरकार की तरफ से आयोजन स्थल चिन्हित कर दिया जाएगा. इनमें शामिल होने वाले लोगों को सुरक्षा के साथ ही सभी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया होगी. व्यवस्थित रूप से आयोजन हो सकेगा.
ककोलत मेला
नवादा में मकर संक्रांति के मौके से छह दिनों तक लगने वाला स्थानीय स्तर पर यह बेहद लोकप्रिय धार्मिक मेला है.
बाबा ब्रम्हेश्वरनाथ मेला
बक्सर में वैशाख व शिवरात्रि पर लगने वाला यह पशु मेला होने के साथ ही स्थानीय लोकरंग को भी समाहित करने वाला है.
कोसी मेला
कटिहार के पास कोसी नदी पर प्रत्येक वर्ष पौष पूर्णिमा पर यह लगता है. इसमें लकड़ी के सामानों की खरीद-बिक्री होती है.
जानकी नवमी मेला
माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में उनके जन्मस्थान पर चैत माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को यह आयोजित होता है.
वैशाली का मेला
जैन धर्म के लोगों के स्तर से इसका आयोजन महावीर जैन से जुड़े स्थान पर चैत माह की शुक्ल त्रयोदसी को होता है.
कल्याणी मेला
कटिहार के कदवा प्रखंड में कल्याणी नामक स्थान पर एक पौराणिक झील के किनारे इसका आयोजन कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर होता है.
लौरिया नंदन या थारू मेला
प्रत्येक वर्ष दिसंबर महीने में पूर्णिया जिले के गुलाबबाग इलाके में इसका आयोजन होता है.
मेलों को अधिसूचित करने या मेला प्राधिकार में शामिल करने के मापदंड निर्धारित हैं. अगर किसी मेला का प्रस्ताव आता है, तो संबंधित मेले से जुड़े सभी पहलुओं का अध्ययन करने के साथ ही इस पर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मंगवाई जाती है. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाती है. फिलहाल किसी मेले को प्राधिकार में शामिल करने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया है. आने पर विचार किया जाएगा.
-आलोक मेहता, मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग