बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल दलों की जीत भी होगा कैबिनेट में मंत्री बनने का आधार वाला
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में बनी महागठबंधन सरकार में शामिल दलों को जीती हुई सीटों के हिसाब से इलाकावार प्रतितिनिधित्व देने पर भी पूरा ध्यान रहेगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में बनी महागठबंधन सरकार में शामिल दलों को जीती हुई सीटों के हिसाब से इलाकावार प्रतितिनिधित्व देने पर भी पूरा ध्यान रहेगा। वर्ष 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में जदयू को जहां सबसे अधिक 10 सीटें कोसी, तो राजद को सबसे अधिक 19 सीटें मगध क्षेत्र में मिली थीं। वहीं, कांग्रेस सर्वाधिक छह सीटें शाहाबाद से जीतने में सफल रही थी।
माना जा रहा है कि बिहार सरकार में शामिल दलों का मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व भी इसी अनुपात में होगा। गौरतलब है कि महागठबंधन की ओर 164 विधायकों के समर्थन का दावा पेश किया गया है। वहीं, मुख्यमंत्री के अलावा कैबिनेट में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं। इस लिहाज से चार विधायक पर एक मंत्री का गणित बैठता है। देखना होगा कि क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के आधार पर कैबिनेट में महागठबंधन में शामिल किस दल को कितनी जगह मिलती है।
जदयू के सबसे अधिक दस विधायक कोसी से
जदयू के 45 विधायकों में सबसे अधिक दस कोसी क्षेत्र से आते हैं। वहीं, तिरहुत से आठ, पूर्वांचल से आठ, मगध और शाहाबाद से सात, मिथिलांचल से छह, सीमांचल से चार और मगध क्षेत्र से दो विधायक आते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़ जदयू के 12 मंत्री थे। इनमें विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, संजय झा, लेशी सिंह, शीला कुमारी, मदन सहनी, सुनील कुमार, नारायण प्रसाद, जयंत राज और जमा खान। इनमें दो अशोक चौधरी व संजय झा विधान पार्षद हैं। वहीं, अन्य विधायक हैं। वहीं, हम के चार विधायक हैं। इनमें तीन मगध तो एक जमुई जिले के हैं। हालांकि, हम की ओर से संतोष कुमार सुमन मंत्री हैं, जो विधान पार्षद हैं।
राजद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी नीतीश कैबिनेट में उचित क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व पर भी पूरा ध्यान रखेगी। यही नहीं सामाजिक समीकरण का भी ध्यान रहेगा। मंत्रियों के चयन के पहले पार्टी विधायकों की छवि और पार्टी के सात उनकी निष्ठा को भी तवज्जो देगा। गौरतलब है राजद के 79 विधायकों में सर्वाधिक मगध में 19 विधायक जीते जबकि शाहाबाद में उसके 15 विधायक जीते हैं। तिरहुत में 14 चंपारण-सारण में 14 विधायकों ने जीत हासिल की। इसी तरह सीमांचल में 06 और कोसी में 04 विधायकों को जीत मिली। भागलपुर प्रक्षेत्र से 05 और मिथिला से 03 विधायकों को जीत मिली थी। ऐसे में राजद कोटे से पटना,शागाबाद के अलावा तिरहुत, सारण को ठीक-ठाक प्रतिनिधित्व मिलना तय है।
कांग्रेस का शाहाबाद व सीमांचल पर रहेगा जोर
कांग्रेस के 19 विधायकों में सबसे अधिक शाहाबाद से छह विधायक हैं। इसके बाद सीमांचल से चार विधायक हैं। बाकी अन्य इलाके से विधायक हैं। इस हिसाब से देखें तो शाहाबाद और सीमांचल से कम से कम एक-एक विधायक को मंत्री बनाने पर जोर रहेगा। इस मानक पर शाहाबाद से राजेश राम और सीमांचल से शकील अहमद खां का नाम मंत्रियों में सबसे ऊपर चल रहा है।
पार्टी नेताओं की मानें तो क्षेत्र के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इस पैमाने पर दो सवर्ण नेताओं अजीत शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा का नाम भी मंत्रियों के तौर पर चल रहा है। इनमें से किसी एक का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। वहीं दो महिला विधायकों में प्रतिमा कुमारी का नाम सबसे आगे चल रहा है। वैसे दल से कौन-कौन मंत्री होंगे, यह आलाकमान को ही तय करना है।
वामदल का प्रतिनिधित्व भोजपुर और सारण क्षेत्र में ज्यादा
विधानसभा चुनाव 2020 में तीनों वामदल ने मिलकर 16 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। सबसे ज्यादा सीपीआई (माले) को 12 सीटें आयी हैं। इसके सबसे ज्यादा विधायक भोजपुर और सारण क्षेत्र से जीतकर आये। सारण प्रमंडल में तीन सीटें जीरादेई, दरौली एवं मांझी शामिल हैं।
पटना जिले में भी पहली बार खाता खोलने वाले सीपीआई (माले) ने दो विधानसभा सीटों फुलवारीशरीफ एवं पालीगंज पर कब्जा जमाने में सफल हुई। भोजपुर क्षेत्र में सबसे ज्यादा चार विधानसभाओं काराकाट, डुमरांव, तरारी एवं अगियांव पर जीत हासिल की। जहानाबाद के घोषी और अरवल सीटों पर भी जीत दर्ज की है।
वामदल का गढ़ माने जाने वाले बेगूसराय जिले के तेघरा और बखरी विधानसभा सीटों तथा समस्तीपुर के विभूतिपुर, सीमांचल के कटिहार जिले में बलरामपुर विधानसभा एवं पश्चिम चंपारण के सिकटा विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है। हालांकि भाकपा और माकपा ने सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया है। वहीं, माले सरकार में शामिल होने पर निर्णय बाद में लेगी।