
बिहार। तालाब, मछली, मखान और पान के लिए दरभंगा शहर जाना जाता रहा है। पर अब यह प्रदूषण के लिए चर्चित हो गया है। वायु प्रदूषण के चलते यहां बीमारियां फैल रही हैं।फेफड़े, आंख की बीमारी, सांस जनित बीमारियों सहित पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी कम हो रही हैं। दरभंगा शहर की करीब एक तिहाई आबादी श्वसन संबंधित रोगों से ग्रसित है। जो आगे चलकर दमा जैसी घातक बीमारी के शिकार बनेंगे। शहर की हवा जहरीली हो गई है और इससे निजात आवश्यक है। यें बातें आईएमए के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमण कुमार वर्मा ने कही। डॉ. प्रभात दास फाउण्डेशन एवं नागेंद्र झा महिला महाविद्यालय के भूगोल विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दरभंगा शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण व निदान विषयक सेमिनार में डॉ. वर्मा ने कहा कि शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बेतहाशा शहरीकरण है।
जैसे – जैसे शहरीकरण बढ़ा है वैसे ही प्रदूषण के दायरे में भी वृद्धि हो रही हैं। उन्होंने एम्स निर्माण के लिए हो रहे कार्यों को भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बताते हुए कहा कि चिकित्सा की दृष्टि से एम्स के तौर पर जिले को बड़ी सौगात मिली है। पर जिस अमानवीय तरीकों से बिना किसी एतिहात का पालन किए मिट्टी भराई और भवनों का ध्वस्तीकरण हो रहा है। उसके चलते दरभंगा के वायु मंडल में धूल कणों की मात्रा बढ़ गई है। जो मानवीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क के प्रयोग पर बल दिया। पर्यावरणविद् सह पूर्व प्राचार्य डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा कि दरभंगा शहर पहले से ही जल प्रदूषण का शिकार है।
यह देश का दूसरा वायु प्रदूषित शहर भी बन चुका है जो चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि दरभंगा छोटा शहर है और लगभग शहर का हर मकान कंक्रीट से बना है। लोगों को अब इन कंक्रीट के घरों को ही हरा – भरा बनाना चाहिए। इससे पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए भूगोल विभाग की प्रो डॉ. ममता रानी ने कहा कि दरभंगा शहर बिना किसी कल-कारखाने के ही प्रदूषित हो गया है। इसका निदान भी हम शहरवासियों को ही ढ़ूढ़ना होगा। वहीं फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने बताया कि वायु प्रदूषण मानव शरीर के हर अंग और कोशिकाओं के लिए नुकसानदेह है। सेमिनार की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ऋषि कुमार राय व संचालन परीक्षा नियंत्रक डॉ. महादेव झा ने किया। जबकि अतिथियों स्वागत भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो गणेश झा और धन्यवाद ज्ञापन प्रो श्वेता ने किया। मौके पर प्रो अर्चना झा, फाउण्डेशन के अनिल सिंह, राजकुमार, मोहन साह, राकेश कुमार, भगवान जी झा, कल्पना कुमारी आदि मौजूद थे।