पटना न्यूज़: शहर के गांधी मैदान में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन हर हर महादेव की जय-जयकार के बीच अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक राजनजी महाराज ने डिम डिम डमरू बजावेला हमार जोगिया भजन गाया तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. व्यासपीठ से संगीतमय श्रीराम कथा सुना रहे राजन जी महाराज के मुख से श्रीराम कथा में शिव विवाह का प्रसंग सुनकर श्रोता भाव विभोर हुए.
मां कभी भी अपने संतान को नहीं छोड़ सकतीराजन जी महाराज ने मां की ममता के करुणायी स्वरूप को उजागर करते हुए बताया कि कोई भी छोड़ सकता है , लेकिन मां कभी भी अपने संतान को छोड़ नहीं सकती. मां की ममता की महिमा को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, इसलिए मां का सम्मान सदैव करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मित्र, पिता, सदगुरु, स्वामी के निर्देशों को मार्गदर्शक मानना चाहिए. इन चारों के बिना निमंत्रण को जाना चाहिए क्योंकि यह हमारे सच्चे हितैषी होते हैं. श्रीराम कथा को आगे बढ़ाते हुए कथा मर्मज्ञ ने कहा कि कोई व्यक्ति यदि मुखौटा लगा लेता है तो उसके स्वभाव में परिवर्तन नहीं आ जाता. उसका स्वभाव अपने मौलिक अंदाज में यथावत रहता है. सतयुग में साधना के लिए कठोर तप बताई गई है, इस युग में मनु महाराज ने 23000 वर्ष तक तपस्या की.
भगवान की परीक्षा नहीं, प्रतीक्षा करें
त्रेता युग में यज्ञ प्रारंभ हुआ, जबकि कलियुग में कोई साधना उपयुक्त नहीं है. इस युग में केवल राम नाम बोला जाए, राम का जाप किया जाए, राम को स्मरण किया जाए. हमारे सामर्थ्य में भगवान को याद करना है, वह हमें करना चाहिए भगवान कब आएंगे, यह उनके ऊपर है. भगवान की परीक्षा नहीं , वरन प्रतीक्षा करनी चाहिए. श्रीराम कथा सुनने जिले का प्रशासनिक महकमा गांधी मैदान पहुंचा.