पटना, (आईएएनएस)| बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने और महागठबंधन के साथ चले जाने के बाद राज्य में महागठबंधन की सरकार चल रही है। सात दलों के महागठबंधन में चार दल जहां सरकार में शामिल हैं, वहीं तीन दलों का बाहर से समर्थन है। हाल के दिनों में देखे तो लगभग सभी घटक दल अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां समाधान यात्रा के जरिए राज्य के सभी जिला में पहुंचकर विकास कार्यक्रमों को देख रहे और उसकी समीक्षा कर रहे। इस क्रम में वे सरकार की योजनाओं को भी लोगों को बता रहे।
इस बीच, महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने भी गरीब संपर्क यात्रा निकालकर अन्य घटक दलों को अपनी ताकत का एहसास करा रहा है। मोर्चा की यह यात्रा नवादा से शुरू हुई है और जहानाबाद, अरवल होते हुए गया तक जाएगी। इसमें कोई शक नहीं कि इन क्षेत्रों में हम मजबूत मानी जाती है।
इस यात्रा के जरिए 'हम' के नेता लोगों की समस्या देख रहे और उनकी समस्या का निदान की कोशिश में जुटे हैं।
इधर, भाकपा माले ने भी बुधवार को पटना के गांधी मैदान में एक रैली कर अपनी ताकत का एहसास कराया है। गुरुवार से पार्टी अधिवेशन भी कर रही है।
इस दैरान राजधानी को लाल रंग के झंडे से पाट दिया है। बुधवार की भाकपा माले की लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ रैली में वक्ताओं ने राज्य सरकार को भी विभिन्न मुद्दों को लेकर घेरने की कोशिश की गई। भाकपा माले सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है।
देखा जाए तो महागठबंधन में शामिल दल अपने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए न केवल अपनी ताकत का एहसास कराने को कोशिश कर रही है बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में गैर भाजपा एक मजबूत गठबंधन बनाने की कवायद भी मानी जा रही है।
महागठबंधन 25 फरवरी को सीमांचल के पूर्णिया में एक रैली का भी आयोजन कर रही है। इस रैली को महागठबंधन की ओर से लोकसभा चुनाव की तैयारी का आगाज माना जा रहा है।
--आईएएनएस