बरौनी/ गढ़हरा । जनवादी लेखक संघ, जिला इकाई, बेगूसराय द्वारा संगठन के राज्य सचिव कुमार विनीताभ और लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार कौशल किशोर के सम्पादन में सद्यः प्रकाशित पुस्तक ''रामेश्वर प्रशांत : सुर्ख़ सवेरे की लालिमा का कवि'' का लोकार्पण एवं उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आए चर्चित कवि कौशल किशोर के काव्य-पाठ का आयोजन गढ़हरा में किया गया। इसकी अध्यक्षता जलेस के जिला-अध्यक्ष और गणेश दत्त महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा० राजेन्द्र साह ने की जबकि डा० चन्द्रशेखर चौरसिया ने संचालन किया।
जलेस राज्य सचिव कुमार विनीताभ ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज देश के लोकतंत्र, संविधान और मेहनतकश अवाम के पक्षधर सभी कलम जीवियों की एकता समय की जरूरत है। डॉ० राजेन्द्र साह और प्रधानाचार्य- सह-कवि शान्तनु ने मुख्य अतिथि कवि कौशल किशोर को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। कौशल किशोर और कुमार विनीताभ द्वारा सम्पादित पुस्तक '' रामेश्वर प्रशांत : सुर्ख़ सवेरे की लालिमा का कवि " का सामूहिक रूप से लोकार्पण किया गया। कौशल किशोर ने पुस्तक प्रकाशन की पृष्ठभूमि, रामेश्वर प्रशांत के जीवन व साहित्य संघर्ष, जन सरोकार और मौजूदा दौर में साहित्यकारों के समक्ष चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि लेखकों से जनसंघर्षों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण तथा लेखन के प्रति वैचारिक प्रतिबद्धता आज की जरूरत है। आज दमन और प्रलोभन के दौर में डर का माहौल तैयार किया जा रहा है। ऐसे में साहस के साथ पहल बहुत जरूरी है। उन्होंने रघुवीर सहाय की कविता को उद्धृत किया जिसमें वे कहते हैं 'टूटे, न टूटेगा/अपने अन्दर का कायर टूटेगा।'
संक्षिप्त वक्तव्य के बाद कौशल किशोर ने 'कविता', ' मैं और मेरी परछाईं', 'भेड़िया निकल आया है माँद से', ' वह हामिद था', 'बाबूजी का छाता', 'छूटी हुई जगहें', वक्त कविता के हमलावर होने का है', उम्मीद चिंगारी की तरह सहित करीब एक दर्जन से अधिक कविताओं का पाठ किया। अपनी एक कविता में वे कहते हैं 'यह तो आम लोगों का दुख है/ जो कविता में दर्द बन छलकता है /यह उसके शब्दों की ताकत है /कि मर गए और मार दिए गए लोगों के बीच भी /वह जिंदा रहती है /...आज भी अगर कुछ करना है/ तो तोप का मुंह तानाशाहों की ओर करना है /वक्त कविता के हमलावर होने का है।'
डॉ० राजेन्द्र साह ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कौशल किशोर की कविताओं की समीक्षा करते हुए कहा कि कविताएं सम्प्रेषणीय, सुबोध, तीक्ष्ण, सत्ता और समाज के चरित्रों को सुस्पष्ट करने वाली हैं। ये आज के वर्तमान और जन भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। पठित कविताओं और सद्यः प्रकाशित पुस्तक पर जन संस्कृति मंच के राज्य सचिव दीपक सिन्हा, उपाध्यक्ष विजय सिन्हा, जलेस जिला उपाध्यक्ष प्रभा कुमारी, प्रलेस के पुष्कर प्रसाद सिंह, मैथिली कवि श्याम नंदन 'निशाकर', कवि रामानंद यादव, प्रवीण प्रियदर्शी, संजीव फिरोज, विनोद बिहारी, संस्कृतिकर्मी फुलेना राय, प्रधानाचार्य एस०एस० शर्मा, विजय कुमार, चन्द्र कुमार, वरिष्ठ सामाजिक नेता राम अनुग्रह शर्मा, रमेश प्रसाद सिंह, बीहट नगर परिषद के पूर्व उप मुख्य पार्षद धर्मेन्द्र कुमार सिंह, पूर्व सरपंच राजन कुमार चौधरी, रेल कर्मचारी नेता शिव प्रसाद यादव, सुरेन्द्र कुमार, मुक्तेश्वर वर्मा, शिवशंकर पासवान, अनिल शर्मा, प्रेम कुमार, दीपक पोद्दार समेत कई ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। अधिवक्ता रामरतन दास ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर यदुनन्दन पासवान, अशोक ठाकुर, रवीन्द्र नाथ ठाकुर 'आर्य', राज कुमार, सचिन रंजन, रणजीत कुमार, शीतांशु भास्कर, मुन्ना कुमार, हिमांशु भास्कर, मनोज दास, ऋषि पान, उदय कुमार, बादल कुमार, सुमति देवी, मंजूलता, सूक्ति देवी, शांभवी, विभव समेत अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद थे।