मुजफ्फरपुर से दस माह के मासूम की मौत, एक और बालिका भर्ती
बच्चे की हालत गंभीर होने के कारण उसे नौकरी पर रखा गया था।
मुजफ्फरपुर: स्टॉकहोम जिले के मधुबन के दस महीने के बच्चे सचिन की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से हो गई है। इस वर्ष सेलेब्रिटी या एईएस से यह पहली मृत्यु है। बच्चे में चमकी के लक्षण चार सितंबर को उसे सरकारी आवास के पीकू में भर्ती किया गया था। बच्चे की हालत गंभीर होने के कारण उसे नौकरी पर रखा गया था।
डीपीआरके के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि बच्चे को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। इसके बाद उसकी जांच माइक्रोबायोलॉजी विभाग में की गई, जहां इलेक्ट्रानिक की पुष्टि हुई। इस साल मोतिहारी के दूसरे बच्चे की पुष्टि हुई है। जिला जनित नियंत्रण रोग रेटिंग डॉ. सिद्धार्थ कुमार ने बताया कि बच्चे की स्थिति पहले दिन से ही लिखी गई थी। उसे बचाने का काफी प्रयास किया गया। इस साल एग्रीगेट के पांच मामले सामने आये हैं.
तीन साल में सबसे ज्यादा मामले इस साल डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि पुर्तगाल के सात पीड़ित बच्चों की स्थिति ठीक है। चार सितंबर से उसका इलाज चल रहा है। ऑक्सफ़ोर्ड में साबिक का पहला मरीज़ चार मई को आया था। बेतिया के राजकुमार राजकुमार की पुष्टि हुई थी। इसके बाद अगस्त में दो मामले सामने आये थे.
इसमें एक पूर्वी अरुणाचल प्रदेश आदापुर का रहने वाला था। पिछले तीन साल में साबित के सबसे ज्यादा मामले इस बार मिले हैं. इससे पहले साल 2021 में एक मरीज की मौत का मामला सामने आया था। मेहमान वेस्ट यशोदा का रहने वाला था। लगभग सभी महीनों तक अलग-अलग पर रखा जा रहा था। डॉ. श्रीशेष कुमार ने बताया कि एसेट में भी एक ईश की तरह ही पीड़ित को चमकती हुई आती है। जांच रिपोर्ट दो दिन पहले आने की संभावना है। ईएसई में वायरस का पता नहीं रहता है, जबकि ईएसई में वायरस का पता नहीं रहता है। इलेक्ट्रानिक क्यूलेक्स मच्छर के कटर से होता है। लकड़ी में साबूत नहीं मिलते हैं. उत्तर बिहार में रॉबर्टो का ग्रैंड ईस्टर्न और वेस्ट नॉर्थ बिहार में रेस्तरां है। इसके अलावा उसके आस-पास के इलाके में रहने वाले लोग मिलते हैं। टुकड़ों में बॅकेलेट को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रखा जाता है।