पटना से दिल्ली तक तेजस्वी करेंगे पदयात्रा, जातीय जनगणना को लेकर सियासत तेज

घोषणा को लेकर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का भी मिला साथ

Update: 2022-05-10 12:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत जारी है. जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित कई पार्टियां इसके पक्षधर है. केंद्र ने पहले ही साफ कर दिया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यस्तर पर जातीय जनगणना कराने की घोषणा की है. हालांकि इसके पहले सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात करते रहे हैं. इस बीच, राजद के नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को लेकर बिहार से दिल्ली तक की पैदल यात्रा करने की घोषणा कर दी है.

पटना से दिल्ली तक तेजस्वी करेंगे पैदल यात्रा
विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने को लेकर पैदल यात्रा की घोषणा कर दी है. तेजस्वी यादव ने कहा जातीय जनगणना को लेकर राजद लगातार मांग करता रहा है. राजद के दबाव का ही नतीजा था कि दो बार बिहार विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया है, लेकिन इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम लोगों के पास अब कोई चारा नहीं बचा है, इसलिए जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर वो पटना से दिल्ली तक पैदल यात्रा करेंगे. इधर, राजद के इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरने की घोषणा को लेकर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का साथ भी मिला है.
'जातीय जनगणना को सरकार लटकाना चाहती है'
बिहार के पूर्व मंत्री सहनी ने कहा कि जातीय जनगणना को सरकार लटकाना चाहती है. उन्होंने राजद के नेता तेजस्वी यादव की इस मांग को लेकर सड़कों पर उतरने और बिहार से दिल्ली तक पैदल यात्रा करने के निर्णय पर धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर राजद चाहती है तो वीआईपी भी उनके साथ खड़ी होगी. वीआईपी के प्रमुख ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग को लेकर सभी दलों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके है.
'जातिवाद का जहर घोलने का कर रहे प्रयास'
इस बीच, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने तेजस्वी की पदयात्रा को सियासी स्टंट बताते हुए कहा कि जातियों के नाम पर बिहार को बांट कर वर्षो तक सत्ता की मलाई खाने वाला राजद एक बार फिर से बिहार में जातिवाद का जहर घोलने का प्रयास कर रहे हैं. इनका इतिहास गवाह है कि इन्हें एक खास परिवार के अलावा न तो किसी जाति विशेष की चिंता रही है और न ही किसी समाज की. उन्होंने कहा कि तेजस्वी ने साबित कर दिया है कि राजद में सिर्फ नेतृत्व बदला है. इनकी विभाजनकारी राजनीति में कोई परिवर्तन नहीं आया है. वास्तव में इनके लिए विकास का अर्थ केवल परिवार की संपत्ति बढ़ाना है. उसके लिए यह किसी भी हद को पार कर सकते हैं.
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