बाराबंकी से छपरा तक शुरू हुआ तीसरी रेलवे लाइन का सर्वे कार्य
जल्द हो सकता है शुभारंभ
छपरा: ट्रेनों की गति और संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से बाराबंकी से गोरखपुर होते हुए छपरा तक तीसरी रेलवे लाइन बिछाने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए रूट पर सर्वे का काम शुरू करने के साथ ही डीपीआर भी तैयार कर ली गई है। लोकसभा चुनाव के बाद ट्रैक बिछाने के काम में तेजी आएगी। इसके साथ ही लखनऊ से गोरखपुर और बिहार के लिए सीधी ट्रेनें चलने से यात्रियों का सफर भी सुखद और आरामदायक हो जाएगा।
बाराबंकी से छपरा रेलवे लाइन लगभग 425 किलोमीटर लंबी है। इस रूट पर अयोध्या, गोरखपुर आदि होते हुए बिहार के छपरा तक 150 से अधिक ट्रेनें चलती हैं। इसमें लाखों यात्री सफर करते हैं. हाल ही में इस ट्रैक के दोहरीकरण का काम पूरा हुआ है. लेकिन यात्रियों की संख्या को देखते हुए ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. इसके लिए तीसरी रेलवे लाइन बिछाने की परियोजना शुरू कर दी गई है.
पूर्वोत्तर रेलवे से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे नई सरकार के गठन के बाद पहले 100 दिनों के कामकाज की योजना बना रहा है. इसमें बाराबंकी से छपरा तक तीसरी लाइन की डीपीआर भी शामिल है। तीसरी लाइन बिछाने से यात्री ट्रेनों के साथ-साथ मालगाड़ियों के संचालन में भी सुधार होगा। वाहनों को पार करने के लिए रुकने की जरूरत नहीं होगी। इससे बिहार से बाराबंकी, लखनऊ और दिल्ली तक का सफर सुखद और आसान हो जाएगा.
रेलवे ने एक साल पहले बाराबंकी से लखनऊ के मल्हौर तक तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण शुरू किया था। रेलवे इन दो नई लाइनों के लिए नदियों और नहरों पर पुल बनाने में व्यस्त है। फिलहाल सतह को बड़ा करने के लिए मिट्टी भराई का काम चल रहा है। बाराबंकी और लखनऊ के बीच तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण कार्य वर्ष 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
रेलवे प्रबंधन रेलवे सुविधाओं की सूरत बदलने के साथ-साथ सफर को सुरक्षित बनाने के लिए शील्डेड तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. इससे ट्रेनों का परिचालन आसान और सुरक्षित हो जाएगा. इस तकनीक में 25 केपीए क्षमता की एक गुना के बजाय 25 केवीए की दोगुनी विद्युत शक्ति का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही बाराबंकी से गोरखपुर के बीच पूरे ट्रैक पर ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम पर भी काम चल रहा है। ट्रेनों का संचालन बढ़ने से बाराबंकी रेलवे स्टेशन की क्षमता में सुधार किया जा रहा है। इसके लिए पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर नई बिल्डिंग बनाने के साथ ही अन्य सुविधाएं और उपकरण भी जुटाए जा रहे हैं।