आपने सुना और पढ़ा तो होगा ही कि प्लास्टिक से सड़क भी बन सकती है, लेकिन ये करिश्मा अब पूर्णिया में भी होने वाला है. इसके लिए प्रशासन ने तैयारी भी कर ली है. जहां सड़क बनाने के लिए तारकोल के साथ ही वेस्ट प्लास्टिक का यूज भी किया जाएगा. आपको प्लास्टिक की रद्दी सड़क और नालों में दिखाई देती है, लेकिन जल्द ही समय बदलने वाला है. नई टेक्नोलॉजी से पूर्णिया की दशा और दिशा दोनों बदल जाएगी. इस टेक्नोलॉजी के तहत वेस्ट प्लास्टिक और डामर को मिलाकर सड़क बनाई जाएगी. सड़क इतनी मजबूत होगी की ना तो टूटेगी और ना ही पानी जमा होगा. हालांकि इसको लेकर नगर निगम के स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी है. नगर निगम वेस्ट मैनेजमेंट के तहत प्लास्टिक के इस नए उपयोग की ओर कदम बढ़ा रही है.
क्या है सड़क बनाने का प्रोसेस
सबसे पहले निगम के प्लास्टिक वेस्ट प्लांट में प्लास्टिक का कचरा जमा किया जाएगा. इन्हें अलग कर निर्धारित आकारों में काटा जाएगा. अभी छापेमारी में बरामद प्लास्टिक को श्रेडिंग मशीन से कटिंग की जा रही है. प्लास्टिक का श्रेडिंग मशीन से पहले बुरादा बनाया जाएगा. फिर उसे तारकोल में मिक्स किया जाएगा. प्लास्टिक को तारकोल के साथ 6 से 8 प्रतिशत तक मिलाया जाएगा. इसके बाद पिचिंग सड़क निर्माण होगा. सड़क बनाने में करीब 2 टन से अधिक प्लास्टिक वेस्ट की खपत हो सकती है. इस प्लास्टिक वेस्ट से नगर निगम को राजस्व भी हासिल होगा.
बनेगी अच्छी क्वालिटी की सड़क
प्लास्टिक को लेकर निगम का कहना है कि सड़क में पानी रोकने की क्षमता सामान्य सड़क की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत अधिक होगी. इसके साथ ही सड़क अधिक मजबूत भी होती है और इनके उखड़ने की संभावना कम रहती है. तारकोल की सड़क मानक और गुणवत्ता के आधार पर बनी होती है, जो चार से पांच साल चलती है. जबकि प्लास्टिक की सड़क दस साल से अधिक समय तक नहीं उखड़ती है.
हालांकि ये सड़क पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी उपयोगी होगी. शहर भी साफ-सुथरा होगा. आपको हर जगह वेस्ट प्लास्टिक नहीं मिलेगा. हालांकि पूर्णिया से पहले यूपी, तमिलनाड़ू समेत कई राज्य में ऐसी सड़क बनाई जा चुकी है.