पटना न्यूज़: राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिल रही निशुल्क दवा की और सख्त निगरानी होगी. विभाग ने कहा है कि अस्पतालों में उपचार कराने आए मरीजों को अनिवार्य तौर पर दवा मिले, इसके लिए यह जरूरी है कि निगरानी प्रक्रिया को और सख्त बनाया जाए. इसके लिए जिलों में विशेष टीम का गठन किया गया है.
पिछले दिनों समीक्षा में विभाग ने पाया कि अस्पतालों में उपचार करा रहे मरीजों के आंकड़ें और दवाओं का वितरण एक समान नहीं है. नियमानुसार अस्पताल में पंजीकरण कराने वालों को उपचार की सुविधा मिले, यह जरूरी है. जिन मरीजों ने उपचार कराए, उनको सरकार की ओर से दी जा रही निशुल्क दवा मिल जाए, यह भी जरूरी है. लेकिन समीक्षा में इस आंकड़े में काफी अंतर पाया गया. आंकड़ों में भारी हेरा-फेरी को मरीजों के रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के ख्याल से उचित नहीं माना गया. इसलिए विभाग ने तय किया है कि जैसे ही मरीज इलाज के लिए पंजीकरण कराएंगे, काउंटर पर बैठे कर्मी उसे तत्काल पोर्टल पर अपलोड करेंगे. पंजीकृत व्यक्ति जैसे ही चिकित्सक से उपचार कराएंगे, वहां के कर्मी की यह जिम्मेवारी होगी कि वह तत्काल पोर्टल पर उसे अपलोड कर दें.
आंकड़े का मिलान हर रोज होगा
दवा काउंटर पर बैठे व्यक्ति की यह जिम्मेवारी होगी कि वह दवा देते ही अमुक मरीज की पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड कर दें. इस आंकड़ें का मिलान हर रोज किया जाएगा ताकि किसी भी जगह गड़बड़ी उजागर हो तो उसे अविलंब दुरुस्त कर लिया जाए. साप्ताहिक तौर पर इसकी समीक्षा जिला और मासिक स्तर पर इसकी समीक्षा मुख्यालय स्तर पर की जाएगी. जिलों के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के औषधि भंडार में कार्यरत फॉर्मासिस्ट/ भंडारपाल/ मूल्यांकन व अनुश्रवण पदाधिकारी/ कम्प्यूटर ऑपरेटर की ओर से औषधियों की अधियाचना (मांग) की जाएगी. साथ ही दवा मिलने और वितरण के बाद ई-औषधि पोर्टल पर उसको अपलोड भी करेंगे.