बिहार में स्टार्टअप की रफ्तार धीमी

2022 में लागू हुई थी स्टार्टअप नीति

Update: 2023-08-13 03:30 GMT

पटना: राज्य सरकार के पास 433 स्टार्टअप निबंधित है. इनके लिए सीड फंड के रूप में 44.05 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं. इनमें से अब तक 22.22 करोड़ रुपये बांटे गए हैं. इस तरह प्रत्येक स्टार्टअप पर औसतन 5 लाख 13 हजार 164 रुपये सीड फंड की हिस्सेदारी आती है. स्टार्टअप नीति 2017 के तहत 11.29 करोड़ रुपये और 2022 के नीति के तहत 10.93 करोड़ रुपये का सीड फंड बांटा जा चुका है. इनमें से 27 स्टार्टअप ऐसे हैं जिन्हें एक बार में दस लाख रुपये और 35 स्टार्टअप ऐसे हैं जिन्हें दो बार में दस लाख रुपये का सीड फंड प्राप्त हुआ है. 118 स्टार्टअप चार लाख रुपये की पहली किश्त प्राप्त कर चुके हैं.

● राज्य सरकार की तरफ से हो रहे कई प्रयास

स्टार्टअप योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त सीड फंड 10 वर्षों के लिए उद्यमियों को दिया जाता है. वहीं महिला उद्यमियों को पांच प्रतिशत, एससी, एसटी व दिव्यांगों के स्टार्टअप को 15 प्रतिशत अतिरिक्त फंडिंग की योजना है. एक्सीलेरेशन कार्यक्रम में भागीदारी के लिए तीन लाख रुपये तक का अनुदान मिलता है. एंजेल निवेशकों से निवेश प्राप्त होने पर निवेश 2 प्रतिशत सफलता शुल्क मिलता है. इसके अलावा स्टार्टअप कंपनी को सेबी निबंधित श्रेणी 1 एआईएफ व एंजेल समूह से फंड प्राप्त होने पर अतिरिक्त फंड के रूप में बिहार स्टार्टअप फंड ट्रस्ट से मैचिंग लोन का प्रावधान है.

2017 के मुकाबले 2022 नीति ज्यादा उपयोगी

2017 के मुकाबले 2022 नीति के तहत ज्यादा स्टार्टअप का चुनाव हुआ है. 2017 के तहत केवल 145 स्टार्टअप सीडफंड प्राप्त कर पाएं, जबकि 2022 में अब तक कुल 286 स्टार्टअप सीडफंड के लिए योग्य पाए गए हैं. इनमें से 180 स्टार्टअप सीडफंड का एक, दो या पूरी किश्तें उठा चुके हैं. शेष 106 स्टार्टअप ऐसे हैं जो सीड फंड प्राप्त करने के लिए जरूरी कागजात जमा नहीं करा सके हैं.

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