Siwan: पगडंडियों की जगह 15 फीट से ज्यादा अवैध चौड़ा रास्ता बना दिया गया

खेतों की पगडंडी को बना दिया अवैध रास्ता

Update: 2024-06-03 07:58 GMT

सिवान: टीएमबीयू में अतिक्रमण के एक से एक मामले सामने आते हैं. अब नया मामला सीनेट हॉल के पीछे से सिटी कॉलेज और पीएनए साइंस कॉलेज जाने वाले रास्ते का आया है. दोनों कॉलेजों में जाने के लिए अपना कोई रास्ता नहीं है. पहले विद्यार्थी टीएमबीयू परिसर स्थित खेतों की पगडंडियों से होकर जाते थे, लेकिन अब पगडंडियों की जगह 15 फीट से ज्यादा चौड़ा रास्ता बना दिया गया है. उस रास्ते से कॉलेज के अलावा दियारा की तरफ लोगों की भी आवाजाही होती है. यह रास्ता ऐसी जगह स्थित है, जहां से हर समय लालबाग स्थित प्रोफेसर कॉलोनी से अधिकारियों की आवाजाही विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में होती है. बावजूद इस पर अब तक इस पर संज्ञान नहीं लिया गया. अब अवैध रास्ते का पक्कीकरण करने की साजिश की जा रही थी. कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने सख्त रूख अख्तियार किया है. प्रारंभिक जांच अपने पदाधिकारियों से कराई है. इसके बाद अवैध रास्ता बनाने वालों के विरुद्ध कुलसचिव डॉ. विकास चंद्रा के संयोजन में एक कमेटी गठित की गई है. कमेटी में प्रॉक्टर डॉ. अर्चना साह और टीएमबीयू इंजीनियर को भी रखा गया है.

विवि कर्मी की मिलीभगत पर होगी सख्ती कुलपति ने कहा कि मामले में कमेटी से पूरी जांच कर 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है. उन्होंने कहा कि अवैध रास्ता तैयार कराने में टीएमबीयू के किसी भी कर्मी या विभाग की मिलीभगत होती है तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी. जांच रिपोर्ट के आधार पर ही केस दर्ज कराया जाएगा. कुलपति ने कहा कि इस तरह का कृत्य करने वालों पर टीएमबीयू सख्त रूख अख्तियार करेगा. अवैध रास्तों पर गाड़े गए पोलों को भी हटाने का निर्देश दिया है.

3 जुलाई को राष्ट्रीय लोक अदालत: 13 जुलाई को दूसरे राष्ट्रीय लोक अदालत की तैयारी शुरू हो गई है. अदालत अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय बनमनखी, धमदाहा एवं बायसी में भी आयोजित होंगे. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष जिलाजज पुरुषोत्तम मिश्रा के निर्देश पर विभिन्न बैंकों के अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देश दिए गए हैं. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लंबित सुलहनीय वादों के निष्पादन को विशेष लोक अदालत का आयोजन 29 जुलाई से 03 अगस्त तक किया जाएगा.

अगर वहां भी कोई मामला हो तो पक्षकार उसका भी निष्पादन करा सकते हैं.

विशेषज्ञ की राय

-डॉ. सुशील कुमार, एचओडी, बीएड, बीएनएमयू, मधेपुरा

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