स्कूली बच्चों को एमडीएम की थालियां छोटी होने से खाने में हो रही समस्या

थालियां छोटी होने से खाने समस्या

Update: 2024-02-20 07:49 GMT

बक्सर: जिले में स्कूली बच्चों के हाथ से थाली छीनने में अधिकारी और संवेदक जुटे गए हैं. बच्चों को एमडीएम खिलाने के लिए थाली सप्लाई में मिलीभगत से राशि के गड़बड़ी का आरोप लग रहा है. शिक्षा विभाग के निर्देश पर 0 रुपया और 0 रुपया के स्टील थाली की जगह सप्लायर स्कूलों में घटिया क्वालिटी की थालियों की सप्लाई कर मालामाल हो रहे है. सूत्रों की माने तो कमीशन के खेल में बच्चों के हाथ में घटिया क्वालिटी की थाली दी जा रही है. प्रखंडों में एमडीएम योजना के तहत बच्चों के खाने के लिए थाली सप्लाई के लिए 11 सप्लायर को टेंडर दिया गया है. एक दो सप्लायर को छोड़ दिया जाय तो अधिकांश सप्लायर घटिया क्वालिटी का थाली वितरण कर सरकारी रुपये का चूना लगा रहे है .

प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले के सभी प्रखंडों के सरकारी स्कूलों में थाली आपूर्ति के लिए डीईओ द्वारा 11 सप्लायर को टेंडर दिया गया है. लेकिन संबंधित अधिकारी और सप्लायर के मिलीभगत से थाली सप्लाई योजना लूट योजना बन रही है. कमीशन के खेल में थाली के मानक को ताक पर रखकर स्कूलों में घटिया किस्म की थाली सप्लाई की जा रही है. वहीं स्कूल में वितरण किये गए थाली के नाम पर नाश्ते के प्लेट जैसी थाली मिली है. जिसका वजन और क्वालिटी काफी घटिया है. थाली छोटी होने से बच्चों को खाने में काफी परेशानी हो रहा है. सरकार द्वारा वर्ग 1 से वर्ग 5 तक के लिए प्रति थाली 0 रुपए, वर्ग 6 से 8 तक के लिए 0 रुपए प्रति थाली अच्छी क्वालिटी के स्टील का 250 ग्राम से 300 ग्राम तक वजन का प्रति थाली देने का निर्देश है. कई स्कूल के एचएम ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि सप्लायर द्वारा तय मानक से छोटा साइज और कम वजन का थाली सप्लाई की गई है. जिला पार्षद बंटी शाही ने बताया कि स्कूलों को घटिया क्वालिटी की थालियों की धड़ल्ले से आपूर्ति की जा रही है. थाली छोटा होने से बच्चों को खाना खाने में समस्या होती है. साथ ही खाना थाली से नीचे भी गिर जा रहा है. अभिभावक मनोहर सिंह, जगदंबा पाण्डेय, हरिहर कुशवाहा ने बताया कि स्कूलों में थाली सप्लाई व एमडीएम में अंडा वितरण व वास्तविक उपस्थिति की जांच किसी वरीय अधिकारी द्वारा कराई जानी चाहिए.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व में शिक्षा विभाग द्वारा एमडीएम के थाली की आवश्यकता पर संबंधित स्कूल के खाते में राशि भेजी जाती थी. जिसके बाद हेडमास्टर रुपयों की निकासी करके अच्छी क्वालिटी की थाली खरीदते थे. लेकिन इस बार थाली खरीददारी के लिए प्रत्येक प्रखंडों में अलग-अलग एनजीओ को जिम्मा दिया गया है. यहीं थालियों की खरीददारी करके स्कूलों में सप्लाई कर रहे है.

इस व्यवस्था में यह भी देखा जा रहा है कि स्कूलों में बच्चों की कुल संख्या के अनुपात से काफी कम थालियां मुहैया कराई जा रही है.

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