Rohtas: तीन माह दवा खाकर टीबी से बचेंगे मरीजों के परिजन

नई दवा सरकारी अस्पतालों में संचालित सेंटरों पर पहुंच गई है

Update: 2024-07-29 04:21 GMT

रोहतास: टीबी मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिजनों को संक्रमण से बचाव के लिए नई दवा सरकारी अस्पतालों में संचालित सेंटरों पर पहुंच गई है. नई दवा की तीन माह तक सेवन से ही मरीज के संपर्क में रहने वाले परिजन सुरक्षित रहेंगे.

पहले यह दवा छह माह तक खानी पड़ती थी. हालांकि, ट्रेनिंग के अभाव में नई दवा का वितरण अभी शुरू नहीं हो सकी है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीबी डिविजन ने तैयारी पूरी कर ली है. जल्द ही लोगों को दवा मिलने लगेगी. वर्तमान में टीबी के शिकार मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को बचाने के लिए आइसोनियाजिड की गोली दी जाती थी. इस दवा को छह माह तक रोजाना वजन के हिसाब से खानी पड़ती थी.

लंबा डोज होने के कारण लोग इसे खाने से भी परहेज करते थे. टीबी से बचाव की नई दवा न केवल प्रभावी है, बल्कि इसे लंबे समय तक खाने के झंझट से मुक्ति मिलेगी. इस नई दवा (थ्री एचपी) को रोजाना की बजाय सप्ताह में एक दिन खानी होगी. नई दवा का सेवन सप्ताह ही करनी है. नई दवा को चार से पांच सप्ताह तक लगातार छोड़ दिया तो नए सिरे से खानी होगी. अभी यह दवा 14 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए ही उपलब्ध है.

नई दवा देने के तौर-तरीके बताने के लिए ट्रेनिंग दिलाई जाएगी. सदर अस्पताल में जिला टीबी केंद्र पर नई दवा उपलब्ध है. ट्रेनिंग नहीं होने के कारण नई दवा अभी नहीं दी जा रही है. -डॉ. राकेश कुमार, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी

3000 टीबी मरीज हैं जिले में इलाजरत: जिले में इलाजरत टीबी मरीजों की संख्या करीब तीन हजार है. जो विभिन्न सेंटरों से दवा लेकर खा रहे हैं. वहीं, मरीजों के संपर्क में आने वाले परिजनों को भी सुरक्षा के लिहाज से दवा खिलाई जा रही है. वहीं हर महीने औसतन 500 से अधिक नए मरीज मिल रहे है. नियमित दवा खाकर टीबी मरीज स्वस्थ होते है. कहा गत वर्ष जिले में करीब 14 हजार टीबी मरीज मिले थे.

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