Rohtas: नये कानून के अनुसार महिला अपराध पर दो माह में करनी होगी कार्रवाई

Update: 2024-06-26 05:23 GMT

रोहतास: पुलिस अधिकारियों को महिला अपराध के मामले की जांच दो माह में पूरी करनी होगी. एक जुलाई से बिहार सहित देशभर में नये आपराधिक कानून लागू होने वाले हैं. नये कानून के अनुसार ही अपराध के मामलों की जांच और कार्रवाई करनी है.

नये कानून में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के प्रति कई सख्त प्रावधान किए गए हैं. इनमें पुलिस की मनमानी और जांच व कार्रवाई के नाम पर होने वाली लेटलतीफी पर भी नकेल कसी गयी है. समयबद्ध कार्रवाई का उल्लेख किया गया है. राज्य में पुलिस पदाधिकारियों एवं अनुसंधानकर्ताओं (आईओ) को नये कानून की जानकारी प्रशिक्षण के दौरान दी जा रही है.

केस वापसी में पीड़िता या शिकायतकर्ता का पक्ष जानना जरूरी : महिलाओं के विरुद्ध अपराध से जुड़े मामलों में केस दर्ज किए जाने के बाद उसकी वापसी की शर्त भी तय कर दी गयी है. इसके लिए पीड़िता या शिकायतकर्ता का पक्ष जानना जरूरी होगा. सिर्फ साक्ष्य के अभाव या अन्य कारण बताकर कोई केस खारिज नहीं किया जा सकेगा. पीड़िता या शिकायकर्ता पर किसी प्रकार का दबाव डाल कर कोई भी पक्ष केस वापसी नहीं करा सकेगा.

नाबालिग लड़कियों के विरुद्ध अपराध में मृत्युदंड भी : नाबालिग लड़कियों के विरुद्ध अपराध के मामलों में कानून बेहद सख्त बनाया गया है. नये आपराधिक कानून के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के खिलाफ अपराध पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. पुलिस प्रशासन ऐसे मामलों में सक्षम न्यायालय में जांच रिपोर्ट पेश करते हुए अभियुक्त के खिलाफ आजीवन कारावास या मृत्युदंड के लिए अपील कर सकता है.

दुष्कर्म मामलों में सभी कार्रवाई महिला पदाधिकारी करेंगी

दुष्कर्म के मामलों में पीड़िता की शिकायत दर्ज करने से लेकर अभियुक्त को सजा दिलाने तक की जिम्मेदारी महिला पदाधिकारी एवं महिला मजिस्ट्रेट की होगी. महिला पुलिस पदाधिकारी कांड का अनुसंधान करेंगी. वहीं, इससे जुड़े मामले की सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट के समक्ष ही होगी. इससे पीड़िता बेझिझक अपना पक्ष रख सकेगी.

पटना. पुलिस अधिकारियों को महिला अपराध के

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