कई गांवों की सड़क जर्जर, मरम्मत नहीं होने से लोग परेशान

Update: 2023-02-07 12:29 GMT

बक्सर न्यूज़: ग्रामीण सड़क योजना के तहत गांवों में सड़कों के जाल बिछा दिए गए हैं, लेकिन रख-रखाव के अभाव में जिले की अधिकतर ग्रामीण सड़कों का हाल बदहाल है. नतीजा उन जर्जर सड़कों पर हिचकोले के साथ यात्री वाहनों पर यात्रा करने को मजबूर हैं. कई ग्रामीण पथों की हालत तो यह है कि उसपर वाहन तो दूर पैदल चलना भी मुनासिब नहीं है.

इटाढ़ी प्रखंड अंतर्गत 12 किलोमीटर लंबी उनवांस-बसांव कलां सड़क हो अथवा कृष्णाब्रह्म थाना क्षेत्र के अरक गांव की सड़क तो मात्र मिसाल है, जिले में तकरीबन दो सौ सड़कें ही हालत खस्ता है. जिनपर जगह-जगह उभर आए गड्ढों के चलते सड़क में खाई है अथवा खाई में सड़क यह कहना मुश्किल है. इन सड़कों के मरम्मत की जिम्मेदार ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा तकरीबन डेढ़ सौ सड़कों का डीपीआर भी बनाकर मुख्यालय को भेजा गया है, परंतु महीनों से डीपीआर फाइलों में धूल फांक रहे हैं.

विभाग द्वारा भेजे गए डीपीआर की स्वीकृति नहीं मिलने से राशि के अभाव में सड़कों का मरम्मत नहीं हो रही है. इससे ग्रामीण सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है. जानकारों की माने तो राशि का आवंटन नहीं होने से ग्रामीण सड़कों की हालत सुधारने का कार्य ठप है. इससे विभागीय कार्य प्रणाली व जन प्रतिनिधियों की उदासीनता पर सवाल उठना स्वाभाविक है.

इनकी है जिम्मेवारी सड़कों के निर्माण अथवा मरम्मत की जिम्मेवारी ग्रामीण कार्य प्रमंडल की है. सड़कों के निर्माण के बाद संबंधित एजेंसियों द्वारा पांच साल के अनुरक्षण की जवाबदेही भी होती है. इसके लिए योजना के तहत अलग से राशि मुहैया कराई जाती है. परंतु सड़कों के निर्माण के बाद ज्यादतर ठेकेदार अनुरक्षण की अपनी जिम्मेवारी को भुल जाते हैं अथवा हल्का-फुल्का कार्य कर राशि निकाल लेते हैं. ऐसे में पांच साल की अवधि पूरी होने से पहले ही सड़कों की स्थिति दयनीय हो जाती है.

मंझवारी-धनहा मुख्य पथ पर बनी पुलिया टूटने से परेशानी सिमरी. प्रखंड के मंझवारी से धनहा गांव को जोड़ने वाली सड़क पर महादलित बस्ती के समीप बनी पुलिया दो सालों से टूटी पड़ी है. पुलिया टूट जाने से सड़क पर ग9ा हो गया है. जिसमें गिरकर आये दिन दोपहिया चालक हादसे का शिकार हो रहे हैं. ग्रामीणों द्वारा सड़क की मरम्मत के लिए विभाग में कई बार शिकायत की गई. लेकिन, विभागीय अधिकारियों की ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गई. इस समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों के बीच अधिकारियों के खिलाफ आक्रोश पनप रहा है.

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