पटना न्यूज़: हरिद्वार से लेकर गंगा सागर तक का गंगाजल कहीं भी सीधे हलक में उतारने लायक नहीं रह गया है. आलम यह हो गया है कि कुछ जगहों को छोड़ दें तो गंगाजल नहाने के लायक भी नहीं रहा. अच्छी बात यह है कि गंगाजल में ऑक्सीजन की मात्रा कहीं भी मानक से कम नहीं है. विशेषज्ञ कहते हैं कि गंगा में गंदगी न गिराएं तो इसे निर्मल रखना असंभव नहीं. खतरनाक जीवाणुओं और जैव रासायनिक तत्वों की बहुलता ने गंगाजल को गंदला किया है. इसे तमाम एहतियातों के बाद दूर किया जा सकता है. गंगा की धारा ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती है प्रदूषक तत्व बढ़ते जा रहे हैं. ऑक्सीजन का स्तर घटता जाता है. हावड़ा पहुंचते-पहुंचते गंगा में जैव रसायन की मात्रा अत्यधिक हो जाती है. यानी समुद्र में विलीन होते समय गंगा जल अत्यंत प्रदूषित होता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मार्च, 2023 में ऋषिकेश से लेकर हावड़ा तक यानी उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल में 94 जगहों पर गंगा जल का सैंपल लिया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, ऋषिकेश, मनिहारी कटिहार व राजमहल के पास गंगा जल क्लास ए के मानक के अनुरूप है. यानी यहां के गंगा जल को संक्रमणमुक्त करने के बाद ही पीया जा सकता है. इसके अलावा बाकी स्थानों पर लिया गया गंगाजल इतना प्रदूषित है कि इसको विशेष एवं अत्याधुनिक मशीन से ट्रीटमेंट के बाद ही पीने की सलाह दी गयी है.
गंगोत्री
मानक गंगा का पानी नहाने लायक तब होता है जब घुलनशील ऑक्सीजन 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो. जैव रासायनिक ऑक्सीजन 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम हो और कोलीफॉर्म (जीवाणु) सौ मिलीग्राम में अधिकतम 2500 हो. पीएच रेंज 6.5 से 8.5 होना चाहिए.
ऋषिकेश
उत्तराखंड
हरकी पौड़ी (हरिद्वार)
यूपी
मुंगेर
वाराणसी
कानपुर
पटना
बिहार
प्रयागराज
साहेबगंज
भागलपुर
हजार कोलीफॉर्म जीवाणु पाए गए प्रति सौ मिलीग्राम में कानपुर में तेनुआ ग्रामीण के पास
जगहों पर गंगा जल का सैंपल लिया गया गुणवत्ता जांच के लिए
झारखंड
33
94
कहां-क्या है पानी की गुणवत्ता
प्रदूषण हरिद्वार वाराणसी पटना मुंगेर भागलपुर भागलपुर भागलपुर साहेबगंज हावड़ा
(सुल्तानगंज) (बरारी घाट) (चंपानगर)
घुलित ऑक्सीजन 8.9 7.6 8.2 7.5 7.3 6.7 7.6 7.2 5.1
टोटल कोलीफॉर्म 94 700 1.60 लाख 35 हजार 35 हजार 35 हजार 1.60 लाख N/A 70 हजार
बॉयोकेमिकल 2.0 2.7 1.8 1.1 1.1 2.3 1.8 1.1 2.7
देश में मात्र चार जगह ही गंगा का पानी ऐसा है जिसे कीटाणुशोधन प्रक्रिया के बाद पिया जा सकता है. इन चार जगहों पर ग्रीन कैटेगरी में रखा गया है. ये जगह हैं ऋषिकेश, मनिहारी, साहेबगंज और राजमहल. यानी यूपी में कहीं भी ग्रीन कैटेगरी नहीं है. बिहार में सिर्फ मनिहारी (कटिहरार) और झारखंड में साहेबगंज और राजमहल. बाकी सब जगह रेड कैटेगरी में शामिल हैं.
पानी आचमन के लायक नहीं
गंगा नदी के पानी का अध्ययन करने वाली टीम से जुड़े प्रो. सुनील चौधरी बताते हैं कि अधिकांश जगह गंगा नदी का पानी आचमन के लायक भी नहीं रह गया है. ऑक्सीजन की मात्रा ठीक रहना संतोषजनक है. जीवाणुओं का ज्यादा होना घातक है.
श्रेणी-2
(पीने लायक, उच्च कीटाणुशोधन के बाद)
मानक गंगा का पानी उच्च स्तर पर संक्रमणमुक्त करने के बाद पीने लायक तब होता है जब घुलनशील ऑक्सीजन 4 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो. जैव रासायनिक ऑक्सीजन 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम हो और जीवाणु सौ मिली अधिकतम 5000 हो.
पीएच रेंज 6 से 9 होना चाहिए.
25 स्थानों पर गंगा जल को उच्च स्तर पर कीटाणुशोधन के बाद पीया जा सकता है. ये जगह हैं गंगोत्री, हरकी पौड़ी, ऋषिकेश, रूड़की, गढ़मुक्तेश्वर, बख्तावरपुर, अनूप शहर, कर्णवास, बुलंदशहर, कछला घाट अलीगढ़, कानपुर, रायबरेली, कौशाम्बी, फफामऊ, प्रयागराज, सिरसा, मिर्जापुर, वाराणसी, कोइलवर, बख्तियारपुर, बाढ़, सिमरिया, मनिहारी, जनता घाट साहेबगंज में दो स्थान, सांगी दालान राजमहल, फरक्का, घोषपारा और हुगली. उच्च गुणवत्ता के शोधन के बाद यहां का पानी पीया जा सकता है. इन जगहों को ग्रीन कैटेगरी बाकी को रेड कैटेगरी में रखा गया है.
मानक गंगा का पानी पीने लायक तब होता है जब घुलनशील ऑक्सीजन 6 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो. जैव रासायनिक ऑक्सीजन 2 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम हो और कोलीफॉर्म सौ मिली. में अधिकतम 50 हो. पीएच रेंज 6.5 से 8.5 होना चाहिए.
प. बंगाल
डायमंड हार्बर
हावड़ा