RCP JDU विवादः रामचंद्र प्रसाद की केंद्र में मंत्री बनते ही बढ़ गयी थी अपने दल से दूरी

आरसीपी सिंह 7 जुलाई 2021 में केन्द्र सरकार में मंत्री बने थे। तब वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

Update: 2022-08-07 01:26 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आरसीपी सिंह 7 जुलाई 2021 में केन्द्र सरकार में मंत्री बने थे। तब वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। मंत्री बनने के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष का पद ललन सिंह को सौंपना पड़ा और इसके कुछ ही दिनों बाद उनकी दल तथा पार्टी संगठन से दूरी बढ़ने लगी थी। ऐसे कई मसले आए जिसमें आरसीपी का बयान केन्द्र सरकार के पक्ष में और दल की राय से इतर थे। उनके बयानों से यह अवधारणा भी बनी की भाजपा से उनकी निकटता अधिक हो गयी है।

तीसरी बार राज्यसभा जाने की उम्मीदों पर विराम लगने और उनका टिकट काटकर खीरू महतो को टिकट दिये जाने के बाद से ही रामचंद्र प्रसाद सिंह के सुर बगावती हो गए थे। इस्तीफा से पहले आरसीपी सिंह भले ही खुलकर किसी के खिलाफ नहीं बोले, लेकिन तीसरी बार राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने के बाद उनके बयानों में तल्खी दिखने लगी थी। हालांकि नीतीश कुमार को वह हमेशा अपना नेता बताते रहे। केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा के बाद इसमें परिवर्तन हुआ। बीते 27 जून को एक मीडियाकर्मी ने जब उनसे कहा कि आपको नीतीश कुमार का हनुमान कहा जाता है, इस पर आरसीपी सिंह भड़क उठे और कहा कि वह किसी के हनुमान नहीं हैं। उनका नाम रामचंद्र है और उन्हें उनके ही नाम से संबोधित किया जाए।
आठ जुलाई को पटना पहुंचने के बाद आरसीपी सिंह ने कहा कि जो पाया मेहनत से पाया। चाहे प्रशासनिक पद हो, राज्यसभा सांसद, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष या फिर केंद्र में मंत्री का पद हो। पीएम नरेंद्र मोदी की कृपा से केंद्र में मंत्री बना। तकनीकी तौर पर इस बयान में भले ही कोई दिक्कत नहीं है कि मंत्री बनाने का अधिकार पीएम को होता है, लेकिन गठबंधन दल में कौन मंत्री बनेंगे, यह सहयोगी ही तय करते हैं। आरसीपी के इस बयान की जदयू नेताओं ने खुलकर आलोचना की थी।
24 जुलाई को जहानाबाद में जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष चंदेश्वर विंद की मौत के बाद उनके गांव बाला बिगहा में शोक व्यक्त करने आरसीपी गए थे। इस दौरान मीडिया ने सवाल किया कि आप राजनीति में अभी कहां हैं? इस पर जवाब देते कहा कि फिलहाल मैं गांव पर हूं। इस जवाब पर आगे जब मीडिया ने कहा कि आपका और नीतीश कुमार का गांव तो एक ही है, इस पर जवाब में आरसीपी सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि मेरा जन्म नालंदा में हुआ, जबकि सीएम नीतीश कुमार ने बख्तियारपुर (पटना) में जन्म लिया है। इसके पहले जब आरसीपी सिंह जहानाबाद पहुंचे थे तो उनके समर्थन में 'बिहार का सीएम कैसा हो, आरसीपी सिंह जैसा हो' के नारे लगे थे। इस नारे पर पार्टी की ओर से खूब प्रतिक्रिया आयी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी में नीतीश कुमार इकलौते नेता है। बाकी सब कार्यकर्ता हैं।
इसके बाद 29 जुलाई को मुंगेर पहुंचे आरसीपी सिंह ने मीडिया के सवाल पर कहा कि उनका जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह से कोई विवाद नहीं है। कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार मजबूती से काम कर रही है। हम लोगों के बीच न कभी छत्तीस का आंकड़ा है, न कभी रहेगा। ललन बाबू जब मुंगेर से चुनाव लड़ रहे थे तब उनके समर्थन में हम आते रहते थे। हमारा पुराना संबंध है। हमारे बीच कोई विवाद नहीं है। उस दिन के बयान से लगा कि आरसीपी सिंह अब सुलह की मुद्रा में हैं, लेकिन भीतर-भीतर दल से उनकी दूरी बढ़ती रही। दल द्वारा संपत्ति अर्जन को लेकर शो-कॉज के बाद शनिवार को उनके इस्तीफा आया।
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