धान की राजेन्द्र नीलम किस्म कम पानी में देगा ज्यादा उपज

Update: 2023-06-03 11:15 GMT

मोतिहारी न्यूज़: धान का उन्नत प्रभेद राजेन्द्र नीलम कम पानी में भी अधिक उत्पादन देकर किसानों की अनिश्चय वर्षा की स्थिति में आमदनी बढ़ायेगा. इस प्रभेद के साथ-साथ छह अन्य उच्च गुणवत्ता के धान के प्रभेद केविके द्वारा उपलब्ध कराया गया है.

जलवायु परिवर्तन के कारण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में कम बारिश हो रही है. इससे कृषि पर पड़ रहे प्रभावों को कम करने के लिए कृषि विज्ञानियों ने कम पानी में उगने वाली फसलों की नई प्रजातियों की खोज शुरू कर दी है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने कम पानी में अच्छी उपज देने वाली धान की नई प्रजाति विकसित की है. नई प्रजाति का नाम ह्यराजेंद्र नीलमह्ण दिया गया है. इसे सेंट्रल वेरायटी रिलीज कमेटी ने पूरे देशभर के लिए जारी भी कर दिया है.कृषि विवि की ओर से बीज तैयार करने के लिए इसे बिहार राज्य बीज निगम को मुहैया करा दिया गया है. अब प्रत्येक साल निगम किसानों को बीज उपलब्ध करा रहा है. बिहार के साथ इस प्रजाति का ट्रायल झारखंड, कर्नाटक एवं गुजरात में हुआ था.

40 प्रतिशत पानी के साथ लागत खर्च में भी बचत

ये हैं खूबियां केविके प्रमुख डॉ. अरबिंद कुमार सिंह का कहना है कि ह्यराजेंद्र नीलमह्ण मात्र दो से तीन सिंचाई में तैयार होने वाली धान की प्रजाति है. इससे 40 प्रतिशत पानी के साथ लागत खर्च में भी बचत होगी. सामान्य धान की प्रजातियों को तैयार होने में सात से आठ बार सिंचाई की जरूरत होती है. ह्यराजेंद्र नीलमह्ण प्रजाति की फसल 105 से 110 दिन में तैयार होती है. यह ज्यादा पैदावार देने वाली प्रजाति है. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल है. इसकी ऊंचाई 100 सेंमी होती है.

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