बक्सर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय एआईसीआरपी मेज की क्यूआरटी टीम की 6 सदस्यीय टीम द्वारा बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के पांच सालों का लेखा जोखा एवं संपूर्ण कार्यो का समीक्षा की गई। पीएयू लुधियाना के पूर्व कुलपति पद्म श्री डा.बी.एस.ढ़िल्लन के नेतृत्व में अन्य पांच सदस्यों द्वारा समीक्षा की गई। इस मौंके पर शोध निदेशक डा.पी.के.सिंह द्वारा विश्वविद्यालय में जारी शोध गतिविधियों से क्यूआरटी टीम को अवगत कराई गई। कुलपति डा.दुनिया राम सिंह की अध्यक्षता में एआईसीआरपी मक्का परियोजना के वैज्ञानिक डा.एस.एस.मंडल एवं डा.अरशद अनवर द्वारा अपनी प्रस्तुति दी गई।
बाद में डा.ढ़िल्लन ने विश्वविद्यालय में चल रहे एआईसीआरपी मेज सहित अन्य शोध में यथा केले के पौधे का उत्पादन, टिशू कल्चर द्वारा आम के पौधे का उत्पादन, मखाना, कतरनी धान, जर्दालु आम एवं मगही पान के शोध कार्य की जमकर सराहना की गई। लंबी अवधि तक अधिक उत्पादन देने वाले मक्का के बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। वहीं डा.ढ़िल्लन ने विश्वविद्यालय के माध्यम से विकसित प्रभेदों को किसानों के बीच प्रचार प्रसार पर जोर दिए जाने की बाते कही। अंत में निदेशक शिक्षा प्रसार डा.आर.के.सोहाने द्वारा धन्यवाद ज्ञापन की गई। बता दें 6 सदस्यीय जांच दल में आईसीएआर के पूर्व पीएस डा.के.वी.भटट्,आईसीएआर-एनबीपीजीआर के पूर्व निदेशक डा.सतबीर एस पुनिया, एग्रोनोमिस्ट डा. चंडीश आर बलाल, सीसीएसएचएयू निदेशक डा.जे.सी.शेखर एवं वरीय शस्य वैज्ञानिक डा.एस.एल जाट भी शामिल थे।