बिहार में कोरोना की चौथी लहर की तैयारियां शुरू, कहां हो सकता है 93 फीसदी शुद्ध ऑक्सीजन का उत्पादन, उद्योग विभाग ने मांगी रिपोर्ट
बिहार कोरोना की चौथी लहर आने से पहले मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार कोरोना की चौथी लहर आने से पहले मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर रहा है। उद्योग विभाग ने 93 फीसदी तक की शुद्धता वाले मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन की संभावना वाली औद्योगिक इकाइयों को चिह्नित करने के लिए कहा है। खासकर एयर सेपरेशन यूनिट वाली औद्योगिक इकाइयों को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए सक्षम बनाया जा सकता है। इन्हें मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लायक बनाने में होने वाले खर्च का भी ब्योरा मांगा गया है।
उद्योग विभाग के तकनीकी विकास निदेशक की ओर से जिला उद्योग केंद्रों के महाप्रबंधकों को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन की संभावना वाली इकाइयों का पता लगाने के लिए कहा गया है। पिछले दिनों उद्योग विभाग की बैठक में एयर सेपरेशन यूनिट वाली औद्योगिक इकाइयों में अतिरिक्त तकनीकी उपाय कर मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लायक बनाने की संभावना जताई गई थी। खासकर अतिरिक्त फिल्टर लगाकर वांछित शुद्धता वाली ऑक्सीजन तैयार करने पर विशेषज्ञों ने सहमति जताई थी। जबकि क्रायोजेनिक पद्धति पर आधारित इकाइयों में इसकी संभावना से इनकार किया गया था। जिला उद्योग केंद्रों से मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन, भंडारण एवं परिवहन की व्यवस्था पर भी गौर करने के लिए कहा गया था।
40-50 लाख तक लगेगा खर्च
एयर सेपरेशन यूनिट वाली इकाइयों को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लायक बनाने में 40-50 लाख तक का खर्च हो सकता है। वहीं इसमें 20-25 दिन तक का समय लग सकता है। हालांकि औद्योगिक इकाइयों के प्रबंधकों ने आपात स्थिति में इसकी समय-सीमा कम करने की भी बात कही है। जिला उद्योग केंद्रों के महाप्रबंधकों से मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली इकाइयों को रेडी मोड में रखने के लिए कहा गया है। इसका मकसद आपात स्थिति के लिए तैयार रखना है। ज्ञात हो कि अभी तक केवल 13 एयर सेपरेशन वाली औद्योगिक इकाइयों को चिह्नित किया जा सका है। जिला उद्योग केंद्रों से ऐसी और औद्योगिक इकाइयों का पता लगाने के लिए कहा गया है।